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Daily Current Affairs, 20 January 2019
Prelims Special
Gulshan Mahal to become National Museum of Indian Cinema :-
- गुलशन महल, दक्षिण मुंबई में 19 वीं शताब्दी का भव्य बंगला, कभी कव्वालियों और सांस्कृतिक समारोहों के लिए जाना जाता था.
- अब यह भारतीय सिनेमा के राष्ट्रीय संग्रहालय (NMIC) के घर के रूप में - एक नए अवतार में लौटने के लिए पूरी तरह से तैयार है.
- मूल रूप से गुलशन आबद (समृद्धि का बगीचा) के रूप में जाना जाता है, इसे 1800 के मध्य में बनाया गया था.
Army Tech Seminar -ARTECH 2019 :-
- भारतीय सेना ने दिल्ली कैंट के मानेकशॉ केंद्र (Manekshaw Centre) में सेना प्रौद्योगिकी सेमिनार-2019 (आरटेक 2019) का आयोजन किया.
- इस सेमिनार की थीम ‘युद्ध क्षेत्र में उभरती प्रौद्योगिकी का विध्वंसक प्रभाव’थी.
- सेमिनार का उद्देश्य सैन्य, शिक्षा क्षेत्र और उद्योग से जुड़े साझेदारों के लिये युद्ध पर प्रभाव डालने वाली उभरती प्रौद्योगिकी का स्वरूप उपलब्ध कराना था.
- सेमिनार के दौरान सेना, DRDO, शिक्षा क्षेत्र और उद्योगों द्वारा विकसित सैन्य साजो सामान की एक प्रदर्शनी का भी आयोजन किया गया.
Spiritual Circuit in Kerala :-
- केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने केरल में 14 ज़िलों के 133 धार्मिक स्थलों को जोड़ने वाले आध्यात्मिक सर्किट के विकास को स्वदेश दर्शन योजना के तहत मंज़ूरी दी है.
- योजना में शामिल किये गए धार्मिक स्थलों का चयन उनके ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व के आधार पर किया गया है.
- योजना के अंतर्गत किये जाने वाले विकास कार्यों में सामुदायिक हॉल, अन्नधान मंडपम , बहुउद्देशीय हॉल, शौचालय, कैफेटेरिया, पार्किंग सुविधाएँ, रास्ते, रोशनी,पहचान सूचकों , डस्टबिन आदि की व्यवस्था करना शामिल है.
Small Farmers’ Agri-Business Consortium (SFAC) :-
- हाल ही में भारत सरकार द्वारा 1994 में स्थापित निकाय लघु कृषक कृषि व्यापार संघ (SFAC) की रजत जयंती के अवसर पर नई दिल्ली में समारोह का आयोजन हुआ.
- इस संघ का मुख्य उद्देश्य वेंचर कैपिटल असिस्टेंस (VCA) योजना के माध्यम से छोटे-छोटे कृषि व्यवसायों के विकास को प्रोत्साहित करना है.
GS Paper 2 Source: Times of India
Topic : Know Your Budget series
संदर्भ
आगामी बजट सत्र को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार के वित्त मंत्रालय ने ट्विटर पर एक पाक्षिक शृंखला निकाय निकालने का निर्णय लिया है जिसमें केन्द्रीय बजट के महत्त्व और उसके निर्माण की प्रक्रिया से जनसामान्य को अवगत कराया जाएगा.
ज्ञातव्य है कि आगामी फरवरी 1 को सरकार 2019-20 का अंतरिम बजट लाएगी क्योंकि 2-3 महीने में आम चुनाव होने वाले हैं. आगामी वित्त वर्ष का पूर्ण बजट नई सरकार द्वारा उपस्थापित किया जाएगा. पाक्षिक शृंखला का पहला ट्विट केंद्र के बजट और वोट-ऑन-अकाउंट पर होगा.
बजट क्या होता है?
बजट सरकार की वित्तीय स्थिति के विषय में सबसे व्यापक प्रतिवेदन होता है जिसमें एक ओर जहाँ सभी स्रोतों से प्राप्त राजस्व का लेखा-जोखा होता है तो दूसरी ओर कौन-कौन सी योजनाएँ और कार्यकलाप प्रस्तावित हैं, उनका विवरण भी होता है. बजट में अगले वित्त वर्ष के सरकारी खातों का अनुमान भी दिया जाता है जिससे बजट अनुमान कहते हैं.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Annual Status of Education Report (ASER) 2018
संदर्भ
शिक्षा से सम्बंधित लाभ-रहित संगठन प्रथम (PRATHAM) ने 2018 के लिए वार्षिक शैक्षणिक स्थिति प्रतिवेदन (Annual Status of Education Report – ASER) प्रकाशित किया है. इस प्रतिवेदन के लिए 596 जिलों के 354,944 घरों के 546,527 छात्रों का डाटा जमा किया गया.
इस सर्वेक्षण से पता चलता है कि पढ़ाई-लिखाई में कमी है और देश के बच्चे बुनियादी वाचन और गणितीय कौशल में पिछड़े हुए हैं.
प्रतिवेदन के मुख्य तथ्य
- भारत के बच्चे, विशेषकर प्राथमिक पाठशालाओं के बच्चे (कक्षा 1-8) ठीक से सीख नहीं रहे हैं. उदाहरण के लिए कक्षा 5 में आधे (50.3%) ही बच्चे ऐसे हैं जो कक्षा 2 के छात्रों के लिए निर्धारित पुरस्तक को बाँच सकते हैं.
- परन्तु यदि विगत पाँच वर्षों से तुलना की जाए तो 2018 में बच्चों के सीखने के स्तर में थोड़ा-थोड़ा सुधार हुआ प्रतीत होता है, विशेषकर कक्षा 3 और कक्षा 5 के छात्रों में. वहीं उच्चतर स्तर पर, उदाहरणार्थ कक्षा 8 के बच्चों में, सुधार नहीं दिखता.
- सीखने के स्तर में कमी न केवल सरकारी पाठशालाओं में ही है, अपितु निजी पाठशालाओं में भी है. बहुधा देखा जाता है कि निजी विद्यालय के छात्र सरकारी विद्यालय के समकक्ष छात्रों से अच्छा करते हैं. परन्तु यह अंतर कोई विशेष नहीं है. उदाहरण के लिए जहाँ एक ओर सरकारी विद्यालयों में कक्षा 8 के 40% छात्र सरल भागफल निकाल सकते हैं तो वहीं निजी विद्यालयों में इसका प्रतिशत 2% है.
- परन्तु शिक्षा के कुछ ऐसे अवयव हैं जिनमें कुछ राज्यों में क्रमिक सुधार देखने में आता है. उदाहरण के लिए केरल में कक्षा पाँच के छात्रों की पुस्तक-वाचन की योग्यता में 2016 की तुलना में 2018 में 10% उछाल आया. यह उछाल हिमाचल प्रदेश के लिए 8% तथा छत्तीसगढ़ और ओडिशा के लिए लगभग 7% था.
- निजी पाठशालाओं में पढ़ने वाले 6-14 आयु-वर्ग के छात्रों की संख्या में नहीं के बराबर वृद्धि हुई है. जहाँ ऐसे छात्रों का प्रतिशत 2014 में 8% था और 2016 में 30.6% था, वहीं 2018 में यह आँकड़ा 30.9% ही रहा.
चिंता के विषय
- पढ़ाई-लिखाई की यह स्थिति तब है जब देश में अप्रैल, 2010 से शिक्षा अधिकार अधिनियम (RTE) लागू है. इस अधिनियम में सभी बच्चों के लिए आठ वर्षों की पढ़ाई अनिवार्य कर दी गई है. इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार ने “पढ़े भारत बढ़े भारत” जैसी योजनाएँ चलाई हैं तथा राज्य भी अपने स्तर से प्रयास करते ही रहते हैं.
- जहाँ तक प्राथमिक पाठशालाओं (कक्षा 1 से 8) में नाम लिखाने की बात है, इसमें काफी सफलता मिली है क्योंकि अब बिना पाठशाला के बच्चों की संख्या 4% भी नीचे है.
- किन्तु आज के युग में पढ़ाई की गुणवत्ता की दुर्दशा सोचनीय है और यह केंद्र एवं राज्य स्तर पर और भी प्रयास की अपेक्षा करता है.
- पढ़ाई की निम्न-गुणवत्ता की ओर विश्व बैंक ने भी ध्यान आकृष्ट किया है. उसका कहना है कि एशिया के अन्य देशों के छात्रों की तुलना में भारत के छात्र आगे चलकर श्रमिक के रूप में 44% ही फलदायक सिद्ध होंगे.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Global Risks Report
संदर्भ
विश्व आर्थिक मंच (WEF) ने 2019 का वैश्विक जोखिम प्रतिवेदन प्रकाशित कर दिया है.
वैश्विक जोखिम प्रतिवेदन का माहात्म्य
- यह प्रतिवेदन वर्षानुवर्ष विश्व-भर में जोखिम के परिदृश्य में होने वाले परिवर्तनों को बताता है और वैश्विक विध्वंसकारी जोखिमों (catastrophic risks) की जानकारी देता है.
- यह प्रतिवेदन यह भी पता लगाता है कि कौन-सा जोखिम किस दूसरे जोखिम से जुड़ा हुआ है.
- प्रतिवेदन का उद्देश्य वैश्विक जोखिम को कम करने के लिए अनेक हितधारकों का सहयोग लेने की आवश्यकता के प्रति जागरूकता फैलाना है.
प्रतिवेदन में वर्णित आजीविका से सम्बंधित शीर्षस्थ 10 जोखिम
- जलवायु से सम्बंधित विकट घटनाएँ
- जलवायु परिवर्तन से होने वाले दुष्परिणामों को कम करने और उसके लिए अपने आप को ढालने में विफलता
- बड़ी-बड़ी प्राकृतिक आपदाएँ
- डाटा फर्जीवाड़ा और चोरी की बड़ी घटनाएँ
- बड़े पैमाने पर साइबर आक्रमण
- पर्यावरण को मनुष्य द्वारा पर्यावरण को पहुँचाई गई क्षति और विपत्तियाँ
- बड़े पैमाने पर विवश होकर जन-पलायन
- जैव-विविधता से सम्बन्धित बड़ी क्षति एवं पारिस्थितिकी तन्त्र का विनाश
- जल-संकट
- किसी बड़ी अर्थव्यवस्था में संपदा का आकस्मिक क्षरण
GS Paper 3 Source: The Hindu
Topic : Angel Tax
संदर्भ
भारत सरकार ने आयकर अधिनियम के अनुभाग 56 में कुछ परिवर्तन अधिसूचित किये हैं जिनका उद्देश्य स्टार्ट-अप के संस्थापकों और निवेशकों को एंजेल टैक्स के बारे में राहत प्रदान करना है.
किये गये मुख्य परिवर्तन
- अब DIPP द्वारा मान्यता-प्राप्त सभी स्टार्ट-अप कंपनियाँ एंजेल टैक्स अथवा आयकर अधिनियम के अनुभाग 56 (2)( vii)(b) से छूट पाने के लिए विभाग से अनुरोध कर सकती है. इसके पश्चात् उनके इस विषय में दिए गये आवेदन को अनुमोदन के लिए केन्द्रीय प्रत्यक्ष बोर्ड (Central Board of Direct Taxes – CBDT) को भेज दिया जाएगा.
- इस परिवर्तन का लाभ उन स्टार्ट-अप कंपनियों को ही मिलेगा जिनकी चुकाई गई शेयर-पूँजी और प्रस्तावित शेयर निर्गम होने के पश्चात् पूँजी का शेयर प्रीमियम 10 करोड़ रूपयों के अन्दर होगा.
- एंजेल टैक्स से छूट के लिए आवेदन देते समय कंपनियों को कई दस्तावेज जमा करने होंगे जिनकी सूची सरकार की अधिसूचना में दे दी गई है.
- केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को 45 दिनों के भीतर इस प्रकार के आवेदन को या तो अनुमोदित कर देना होगा अथवा निरस्त कर देना होगा.
यह परिवर्तन क्यों आवश्यक था?
पिछले वर्ष से 80 स्टार्ट-अप कंपनियों को एंजेल टैक्स जमा करने के लिए नोटिस मिले थे. इन स्टार्ट-अप कंपनियों के संस्थापकों की शिकायत थी कि उन्हें अपने निधि का 30% तक इस टैक्स के रूप में देना पड़ रहा है. निधि मुहैया करने वाले एंजेल संस्थाओं को भी बार-बार नोटिस देकर कहा जा रहा था कि वे अपनी आय के स्रोत, बैंक खातों और अन्य वित्तीय डाटा के विवरण जमा करें.
एंजल कर क्यों समस्यापूर्ण है?
किसी भी स्टार्ट-अप के उचित बाजार मूल्य को वस्तुनिष्ठ ढंग से पता लगाना कठिन है. एंजल निवेश इस आधार पर लगाया जाता है कि नई स्टार्ट-अप कौन-सा विचार लेकर आया है और उसके व्यवसाय की संभावनाएँ क्या हैं. दूसरी ओर, कर अधिकारी किसी भी स्टार्ट-अप का मूल्य उसकी खाँटी सम्पत्तियों के मूल्य के अनुसार लगाते हैं. इसलिए अनेक स्टार्ट-अप यह शिकायत करते हैं कि कर अधिकारी उनकी कम्पनी का मूल्य ज्यादा लगा देते हैं जो उचित नहीं है. मई 24, 2018 को एक अधिसूचना जारी कर के केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने एंजल निवेशकों को एंजल कर से औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग के द्वारा निर्दिष्ट कुछ शर्त पर मुक्त कर दिया था. परन्तु फिर भी स्टार्ट-अप कंपनियों को अभी भी इस छूट का लाभ उठाने में कई प्रकार की समस्याएँ हो रही हैं.
एंजल कर क्या है?
एंजल कर वह 30% कर है जो उन स्टार्ट-अपों पर लगाया जाता है जिनको किसी बाहरी निवेशक ने धनराशि दी हो और वह राशि उचित बाजार-मूल्य से अधिक लगाए गये स्टार्ट-अप के मूल्यांकन पर आधारित हो. आयकर विभाग इसको कम्पनी के आय के रूप में देखता है और इसलिए उसपर कर लगाता है. एंजल कर 2012 में अनुभाग 56(2)(viib) के अंतर्गत लगाया गया था. इसका उद्देश्य काले धन को सफ़ेद होने से रोकना था. इसके लिए यह तर्क दिया गया था कि कर से बचने के लिए घूस और कमीशन से कमाई गई राशि को एंजेल निवेश के रूप में छिपाया जा सकता है. परन्तु सरकार ने एंजल कर बहुत कम मामलों में वसूला है क्योंकि इससे सच्चे स्टार्ट-अपों को परेशानी हो सकती है.
आगे की राह
वित्त विभाग द्वारा अधिसूचित परिवर्तन का प्रत्यक्ष परिणाम यह होगा कि स्टार्ट-अप कंपनियों को कर विभाग से एंजेल टैक्स को लेकर नोटिस मिलना बंद हो जायेगा. स्टार्ट-अप बिरादरी का विचार है कि यह परिवर्तन सही दिशा में उठाया गया एक कदम है.
GS Paper 3 Source: PIB
Topic : UNNATI Programme
संदर्भ
भारत की राष्ट्रीय अन्तरिक्ष एजेंसी ISRO (Indian Space Research Organisation) ने हाल ही में बेंगलुरु के यू.आर. राव उपग्रह केंद्र में एक कार्यक्रम का अनावरण किया है जिसे उन्नति (UNNATI) नाम दिया गया है. UNNATI का पूरा नाम है – UNispace Nano-satellite Assembly and Training.
यह क्षुद्र कृत्रिम उपग्रहों के निर्माण से सम्बंधित क्षमता-संवर्धन (nanosatellite development) का कार्यक्रम है.
UNNATI कार्यक्रम क्या है?
- UNNATI कार्यक्रम ISRO का एक कार्यक्रम है जिसमें छोटे-छोटे कृत्रिम उपग्रहों की असेंबली और प्रशिक्षण की व्वयस्था होगी.
- इस कार्यक्रम के द्वारा बाह्य अन्तरिक्ष की खोज और उसके शांतिपूर्ण उपयोग से सम्बंधित संयुक्त राष्ट्र संघ के पहले अधिवेशन (UNISPACE) की 50वीं वर्षगाँठ को याद किया जा रहा है.
- यह कार्यक्रम ISRO के यू.आर. राव अन्तरिक्ष केंद्र में चलाया जाएगा.
- यह कार्यक्रम तीन वर्ष चलेगा और इसमें तीन बैच होंगे.
- इस कार्यक्रम का लक्ष्य 45 देशों के 90 कर्मचारियों को लाभान्वित करना होगा.
कार्यक्रम के प्रधान उद्देश्य
- UNISPACE पहल के एक अंग के रूप में कृत्रिम उपग्रह बनाने की तकनीकों की सरलीकृत और उन्नत जानकारी प्रदान करना.
- कृत्रिम उपग्रह तकनीक से सम्बन्धित सैद्धांतिक पाठ्यक्रम आयोजित करना.
- कम लागत वाले क्षुद्र कृत्रिम ग्रहों को असेम्बल करने, उन्हें एक जगह पर लाने और उनका परीक्षण करने के लिए प्रशिक्षण देना.
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