The Hindu -Daily News Analysis 10-Jan-2019

UPSC Prelim Test Series 2019
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GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Indian Forest and Tribal Service

संदर्भ

भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय ने भारतीय वन सेवा (Indian Forest Service) का नामकरण भारतीय एवं जनजाती सेवा (Indian Forest and Tribal Service) करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों के साथ परामर्श की प्रक्रिया आरम्भ कर दी है. नामकरण का यह प्रस्ताव NCST द्वारा की गई एक अनुशंसा पर आधारित है.

इस विषय में तैयार की गई परामर्श टिपण्णी में कहा गया है कि इसका उद्देश्य भारतीय वन सेवा के अधिकारीयों के लिए जनजातियों और वनवासियों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाना है.

भारतीय वन सेवा क्या है?

  • भारतीय वन सेवा (IFS) 1864 में ब्रिटिश काल में इम्पीरियल फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के रूप में आरम्भ हुई थी और 1866 में एक जर्मन वन अधिकारी डॉ. डाइट्रिच ब्रैंडिस को वन महानिरीक्षक नियुक्त किया गया था. कालांतर में एक अखिल भारतीय सेवा की आवश्यकता अनुभव की गई तथा 1867 में इम्पीरियल फॉरेस्ट सर्विस का गठन हुआ.
  • 1935 के गवर्मेंट ऑफ़ इंडिया एक्ट के तहत वानिकी विषय को “प्रांतीय सूची” में स्थानांतरित कर दिया गया था और इसके पश्चात् इम्पीरियल फॉरेस्ट सर्विस में भर्ती का काम बंद कर दिया गया था.
  • 1951 के अखिल भारतीय सेवा अधिनियम के तहत भारत सरकार ने भारतीय वन सेवा का 1966 में गठन किया.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana (PMFBY)

संदर्भ

संसद की प्राक्कलन समिति (Estimates Committee) ने अपने नवीनतम प्रतिवेदन में प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना (PMFBY) को फिर से तैयार करने की अनुशंसा की है तथा यह सलाह दी है कि इस योजना में अधिक से अधिक किसान रूचि दिखाएँ. इसके लिए इसके क्रियान्वयन में पारदर्शिता लाई जाए तथा अधिक वित्तीय आवंटन दिया जाए.

इस समिति ने यह टिपण्णी की है कि इस योजना में कुछ मौलिक त्रुटियाँ हैं जिसके कारण यह इतनी कारगर नहीं है.

पृष्ठभूमि

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना भारत सरकार की एक मूर्धन्य योजना है जिसका 2016 में बड़े धूम-धाम से अनावरण किया गया था. परन्तु आगे चलकर इसका प्रदर्शन ठीक नहीं रहा और इसके अन्दर आने वाले क्षेत्रों और पंजीकृत किसानों की संख्या में गिरावट आई. इसलिए, इस योजना में आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता अनुभव की गई.

योजना के समक्ष चुनौतियाँ

  • पिछले रबी मौसम से सम्बंधित आँकड़ें उपलब्ध नहीं हैं.
  • कुछ ही राज्य सरकारें समय पर प्रीमियम में अपना हिस्सा दे रही हैं जिससे केन्द्रीय सरकार के द्वारा शेष हिस्से को देने में कठिनाई हो रही है.
  • फसलों की क्षति के मूल्यांकन के बारे में आधुनिक तकनीक का प्रयोग नहीं हो रहा है.
  • क्षति के आकलन के सम्बन्ध में लगी हुई एजेंसियाँ अप्रशिक्षित हैं और उनमें भ्रष्टाचार देखा गया है.
  • दावा भुगतान में देरी.
  • बीमा कंपनियों द्वारा वसूल की जा रही प्रीमियम की दरें ऊँची हैं.
  • राज्यों की ओर से प्रीमियम के भुगतान में देरी अथवा फसल-कटाई का आँकड़ा आने में कोताही के कारण कम्पनियाँ किसानों को समय पर भुगतान नहीं कर रही हैं.
  • बीमा कम्पनियाँ योजना के उचित कार्यान्वयन के लिए आवश्यक ढाँचा तैयार करने में विफल रही हैं.
  • भीषण मौसमी घटनाओं के समय इस योजना से मिलने वाला लाभ किसानों के लिए अपर्याप्त होता है.

प्रधानमन्त्री फसल बीमा योजना (PMFBY)

अप्रैल 2016 में भारत सरकार ने पुरानी बीमा योजनाओं, जैसे – राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना, मौसम आधारित फसल बीमा योजना और संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना को वापस लेते हुए एक नई योजना प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का आरम्भ किया था.

  • इस बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को खरीफ फसलों के लिए 2% और रबी फसलों के लिए 5% प्रीमियम देना होता है.
  • वार्षिक नकदी और बाग़वानी फसलों के लिए प्रीमियम की दर 5% होती है.
  • जिन किसानों ने बैंकों से ऋण लिया है उनके लिए यह योजना अनिवार्य है और जिन्होंने नहीं लिया है, उनके लिए यह वैकल्पिक है.

उद्देश्य

  • अप्रत्याशित कारणों से फसल की क्षति के शिकार किसानों को आर्थिक सहारा देना.
  • किसानों की आय को बनाए रखना जिससे कि वे खेती करना नहीं छोड़ें.
  • किसानों को अभिनव एवं आधुनिक कृषि प्रचलन अपनाने के लिए उत्साहित करना.
  • कृषि प्रक्षेत्र में ऋण के प्रवाह को सुनिश्चित करना जिससे खाद्य सुरक्षा, फसलों की विविधता, उत्पादन में वृद्धि और कृषि क्षेत्र में प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिले और उत्पादन के जोखिमों से किसान सुरक्षित हो सके.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : DNA technology Bill

संदर्भ

लोकसभा ने DNA तकनीक (उपयोग एवं अनुप्रयोग) नियमन विधेयक, 2018 को पारित कर दिया है. यह विधेयक कुछ विशेष व्यक्तियों, जैसे – अपराधियों, संदिग्ध अपराधियों और विचाराधीन बंदियों की पहचान के लिए DNA तकनीक के प्रयोग का नियमन करता है.

विधेयक की महत्ता

आज पूरे विश्व में अपराधों को सुलझाने के लिए DNA पर आधारित तकनीक की उपयोगिता सर्वमान्य है. इसलिए नए विधेयक का उद्देश्य DNA पर आधारित तकनीकों का प्रयोग कर देश की न्यायव्यवस्था को सुदृढ़ करना.

विधेयक के मुख्य तथ्य

  1. इस विधेयक का उद्देश्य है कि न्यायालय की प्रक्रिया में DNA report को प्रमाण के रूप में मान्यता मिले.
  2. विधेयक में यह प्रस्ताव है कि अपराध-पीड़ितों, संदिग्ध अपराधियों, विचाराधीन बंदियों, खोये हुए व्यक्तियों, लावारिस लाशों की पहचान आदि के लिए राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय DNA डेटा बैंक स्थापित किये जायेंगे.
  3. विधेयक में यह प्रस्ताव है कि यदि कोई DNA data ऐसे व्यक्ति को दे दे जिसके लिए वह अधिकारी नहीं हो तो उसे तीन वर्ष तक के कारावास की सजा एवं 1 लाख रु. के दंड का जुर्माना लगेगा. यही सजा और जुर्माना उस व्यक्ति को भी लगेगा जो अवैध रूप से DNA data प्राप्त करेगा.
  4. प्रस्ताव है कि DNA प्रोफाइल, DNA नमूने एवं DNA रिकॉर्ड समेत सभी DNA data मात्र व्यक्ति की पहचान के लिए प्रयुक्त किये जायेंगे नाकि किसी अन्य उद्देश्य के लिए.
  5. विधेयक में यह भी प्रस्ताव है कि DNA प्रयोगशालाओं को मान्यता देने और उन्हें विनियमित करने के लिए आवश्यक व्यवस्थाएँ की जायेंगी और इसके लिए एक DNA नियामक बोर्ड की स्थापना होगी.

 लाभ

  • इस कानून के बनने के बाद DNA के नमूने लेना और DNA Bank को स्थापित करना आसान हो जाएगा.
  • DNA नमूनों का गलत इस्तेमाल रोका जा सकेगा.
  • गलत इस्तेमाल करने वालों को सजा दिलाई जा सकेगी.
  • इसके साथ ही यह कानून लावारिश लाशों की पहचान करने में मददगार साबित होगा.
  • यौन हमले जैसे गंभीर आपराधिक मामलों में अपराधियों की पहचान की जा सकेगी चाहे यह मामला कितना भी पुराना क्यों न हो!
  • आपदा में शिकार हुए लोगों की पहचान की जा सकेगी.
  • गुमशुदा लोगों की तलाश, अपराध नियंत्रण और अपराधियों की पहचान की जा सकेगी.’

DNA तकनीक का महत्त्व

  • DNA विश्लेषण एक ऐसी अत्यंत उपयोगी और सटीक तकनीक है जिससे किसी व्यक्ति के DNA नमूने से उसकी पहचान हो सकती है अथवा दो व्यक्तियों के बीच जैविक रिश्ते का निर्णय हो सकता है.
  • अपराध के स्थल से उठाये गये बाल के नमूने अथवा कपड़ों में लगे रक्त के धब्बों से किसी संदिग्ध व्यक्ति का मिलान किया जा सकता है और अपराधी की पहचान हो सकती है. इस काम में न्यायालय आजकल अत्यंत रूचि ले रहे हैं.
  • DNA नमूने न केवल यह बतलाते हैं कि आदमी कैसा दिखता है अथवा उसकी आँखों या चमड़े का रंग क्या है अपितु यह भी सूचित करता है कि उसे किस बात की एलर्जी है और उसे कौन-कौन रोग लग सकते हैं. इसलिए, DNA विश्लेषण से प्राप्त सूचना का दुरूपयोग भी हो सकता है.
  • DNA तकनीक से न केवल न्याय में गति आएगी, अपितु सजा देने की दर में बढ़ोतरी भी होगी. विदित हो कि वर्तमान में 2016 के आँकड़ों में अनुसार 30% मामलों में ही दंड दिया जाता है.

GS Paper 3 Source: PIB

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Topic : Transport Subsidy Scheme

संदर्भ

पहाड़ी, दुरस्त एवं दुर्गम क्षेत्रों में उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए सरकार परिवहन में सब्सिडी देती है. ये क्षेत्र और उनको दी गई सब्सिडी की योजना निम्न प्रकार से हैं –

  • पूर्वोत्तर क्षेत्र (सिक्किम सहित) – पूर्वोत्तर औद्योगिक विकास योजना (NEDIS) 2017
  • जम्मू एवं कश्मीर – औद्योगिक विकास योजना 2017
  • लक्षद्वीप और अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह – लक्षद्वीप एवं अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह विकास योजना – 2018

योजना का स्वरूप

ऊपर वर्णन की गई सभी योजनाओं के तहत सभी अर्हता प्राप्त औद्योगिक इकाइयाँ मात्र पूरी तरह से तैयार माल पर सब्सिडी पा सकती हैं यदि वे परिवहन के लिए रेलवे अथवा रेलवे लोक क्षेत्र उपक्रमों, देशंतारीय जलमार्गों अथवा अधिसूचित विमान सेवाओं का सहारा लेती हैं. यह सब्सिडी वाणिज्यिक उत्पादन अथवा संचालन के आरम्भ होने की तिथि से पाँच वर्ष तक मिलेगी.

योजना कब से लागू है?

परिवहन सब्सिडी योजना भारत सरकार ने 23.7.1971 को चालू की थी. कालांतर में 2013 में  इसका स्थान ढुलाई सब्सिडी योजना (Freight Subsidy SchemeFSS) ने ले लिया था.

कार्यान्वयन एजेंसी

परिवहन सब्सिडी योजना को कार्यान्वित करने वाली एजेंसी औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन विभाग (Department of Industrial Policy and Promotion – DIPP) है.

ढुलाई सब्सिडी योजना क्या है?

  • ढुलाई सब्सिडी योजना 1971 के परिवहन सब्सिडी योजना के स्थान पर लाई गई थी.
  • यह योजना इन राज्यों के लिए है – सभी आठ पूर्वोत्तर राज्य, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, J & K, पश्चिम बंगाल का दार्जिलिंग जिला, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप द्वीप समूह.
  • 11.2016 से FSS बंद कर दी गई है. परन्तु , इस योजना के अन्दर आने वाली औद्योगिक इकाइयाँ अभी भी योजना के लाभों को प्राप्त करने के लिए योग्य हैं.

GS Paper 3 Source: PIB

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Topic : National Bamboo Mission

संदर्भ

राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM) की बनावट सुधार कर उसे अप्रैल 2018 में कार्यान्वयन के लिए अनुमोदित कर दिया गया. यह मिशन 14वें वित्त आयोग के अंत तक अर्थात् 2019-20 तक कार्यान्वित किया जाएगा. राष्ट्रीय बांस मिशन (NBM) बहु-आयामी कृषि उन्नति योजना के अन्दर आने वाले राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन (National Mission on Sustainable Agriculture -NMSA) की एक उपयोजना है.

उद्देश्य

  • यह मिशन बाँस क्षेत्र के पूर्ण विकास पर ध्यान देता है और इसके लिए किसानों और उद्योगों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है. इस प्रकार इस योजना का उद्देश्य किसानों को अतिरिक्त आय उपलब्ध कराना भी है.
  • दो वर्षों में 1,05,000 हेक्टेयर में बाँस की खेती लगाना और इसके लिए उत्तम कोटि के पौधों को चुन-चुन कर उपलब्ध कराना.
  • बाँस के विकास और उससे बनने वाले उत्पादों में विविधता को प्रोत्साहित करना एवं इसके लिए छोटे-बड़े प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करना.
  • बाँस की बिक्री के लिए ऑनलाइन व्यापार की सुविधा देने के अतिरिक्त उसके लिए मंडी/बाजार/ग्रामीण हाट के तंत्र को सुदृढ़ करना.
  • बाँस के बारे में अनुसंधान, सम्बंधित तकनीक उत्पादनों का विकास, आवश्यक मशीन, व्यापार से सम्बंधित सूचना और ज्ञान के वितरण लिए मंच का निर्माण आदि कार्यों से देश में, विशेषकर पूर्वोत्तर राज्यों में, आपसी सहयोग की वृद्धि करना.

कार्यान्वयन

इस योजना का कार्यान्वयन उन राज्यों के खेतों और गैर-जंगली सरकारी भूमि में होगा जहाँ बाँस की अच्छी पैदावार होती है, जैसे – पूर्वोत्तर क्षेत्र, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, कर्नाटक, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, तमिलनाडु और केरल.

वित्तीय सहायता

  • जहाँ तक पूर्वोत्तर राज्यों का प्रश्न है वहाँ इस योजना के तहत दी जाने वाली वित्तीय सहायता का वहन केंद्र और राज्य सरकार क्रमशः 90:10 के अनुपात में करती है.
  • अन्य राज्यों में केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली निधि का अनुपात 60:40 होगा.
  • संघीय क्षेत्रों, अनुसंधान एवं विकास संस्थानों, बाँस तकनीक सहयोग समूहों (BTSGs) और राष्ट्र-स्तरीय एजेंसियों के लिए निधि का 100% केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा.

Prelims Special

Nilekani Panel to strengthen the Digital Payments Ecosystem :-

भारतीय रिज़र्व बैंक ने नंदन निलेकनी की अध्यक्षता में एक उच्च-स्तरीय समिति का गठन किया है जो देश में डिजिटल भुगतान की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के विषय में उपाय सुझाएगी.

First female chief economist of IMF :

  • भारतवंशीय अमेरिकी नागरिक गीता गोपीनाथ को अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) में मुख्य अर्थशास्त्री (chief economist) नियुक्त किया गया है.
  • वे अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की 11वीं मुख्य अर्थशास्त्री तथा पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री होंगी.

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