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Daily Current Affairs, 16 January 2019
Prelims Special
Hawaiian tree snail is the first extinction of 2019 :-
- जॉर्ज नामक हवाईद्वीप के पेड़ों पर रहने वाले घोंघे की मृत्यु 2019 के नववर्ष दिवस पर हो गई.
- अब विश्व में ऐसा कोई घोंघा नहीं बचा है. इस प्रकार 2019 की यह ऐसी प्रजाति हो गई जिसे औपचारिक रूप से विलुप्त घोषित कर दिया गया है.
Delhi govt plans to start bird hospitals :–
- दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पक्षियों के विशेषज्ञतापूर्ण उपचार के लिए एक प्रस्ताव रखा है.
- इसके लिए दिल्ली के सभी जिलों में उपचार केंद्र खोले जाएँगे.
PM Narendra Modi receives first ever Philip Kotler Presidential Award :–
- अपने उत्कृष्ट राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहला फिलिप कोटलर राष्ट्रपति पुरस्कार दिया गया.
- विदित हो कि यह पुरस्कार फिलिप कोटलर नामक विश्व-प्रसिद्ध एक प्रोफेसर के नाम पर है जो नार्थ-वेस्टर्न विश्वविद्यालय के केलोग प्रबंधन स्कूल में मार्केटिंग पढ़ाते हैं.
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Indian harvest festivals
संदर्भ
आजकल फसलों की कटाई का मौसम चल रहा है और पूरे देश में उत्तर से दक्षिण तक देश में हर जगह त्यौहार मनाये जा रहे हैं. इन त्यौहारों के बारे में मुख्य बातें नीचे दी जा रही हैं –
मकर संक्रांति – आज मकर संक्रांति का पर्व मनाया जा रहा है. आज ही कि दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है और रातों की तुलना में दिन लम्बे होने लगते हैं.
पोंगल – दक्षिण भारत में, विशेषकर तमिलनाडु में, आज के दिन पोंगल का त्यौहार मनाया जाता है जो चार दिन चलता है.
माघा बिहू – फसल कटाई के अवसर पर असम और पूर्वोत्तर के कई भागों में माघा बिहू पर्व मनाया जाता है. इस दिन मौसम की पहली कटाई को भगवान् के समक्ष समर्पित किया जाता है और शांति एवं समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है.
उत्तरायण – मकर संक्रांति के अवसर पर गुजरात में पतंगे उड़ाई जाती हैं और इसे उत्तरायण कहा जाता है.
माघी – पंजाब में मकर संक्रांति को माघी के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भोर के समय नदी में नहाना शुभ माना जाता है.
साजी – हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में मकर संक्रांति को माघ साजी कहते हैं. साजी एक पहाड़ी शब्द है जिसका अर्थ “संक्रांति” होता है. वहाँ इस दिन को माघ महीने का पहला दिन माना जाता है.
खिचड़ी – उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी कहते हैं. इस दिन धार्मिक कृत्य के रूप में स्नान किया जाता है.
तिल संक्रांति – बिहार में मकर संक्रांति को तिल संक्रांति कहते हैं. इस दिन दही-चूड़ा और तिल के पदार्थ खाने और प्रातः स्नान करने की परम्परा है.
विदेश में मकर संक्रांति
शक्राइन :- मकर संक्रांति के अवसर पर मनाये जाने वाले पर्व को बांग्लादेश में शक्राइन कहते हैं. वहाँ इस दिन पतंग उड़ाने की परिपाटी है.
माघे संक्रांति :- यह एक नेपाली पर्व है जो विक्रम संवत हिन्दू सौर नेपाली पंचाग के पहले दिन मनाया जाता है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Formalin in Fish
संदर्भ
बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य की राजधानी पटना में आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से आने वाली मछलियों की बिक्री पर 15 दिनों के लिए प्रतिबंध लगा दिया है क्योंकि हाल ही में इन मछलियों को फोर्मलिन से प्रदूषित पाया गया था. इस प्रतिबंध में आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल से मछलियों को लाने और जमा करने की भी मनाई कर दी गई है.
फोर्मलिन क्या है?
- फोर्मलिन एक विषाक्त और रंगहीन द्रव है जो पानी में फॉर्मलडिहाइड गैस को घोलकर प्राप्त किया जाता है.
- फोर्मलिन का प्रयोग मछलियों को कीटाणु-रहित करने और उन्हें संरक्षित करने के लिए किया जाता है, परन्तु इस रसायन से कैन्सर हो जाता है.
- फोर्मलिन का प्रयोग कुछ अन्य पदार्थों को बनाने में भी किया जाता है, जो हैं – कीटनाशक दवाएँ, उर्वरक, गोंद, कागज़, रंग आदि.
- फोर्मलिन से आँखों, गले, चमड़े और पेट में जलन हो जाती है यदि कोई लगातार इसके सम्पर्क में रहे तो एक लम्बे समय के पश्चात् उस व्यक्ति की किडनी और यकृत को तो हानि पहुँचती ही है, अपितु कैंसर भी हो सकता है.
- फॉर्मलडिहाइड एक अत्यन्त क्रियाशील और ज्वलनशील गैस है. यदि यह किसी लौ अथवा गर्मी के सम्पर्क में आये तो आग लगने का खतरा उत्पन्न हो जाता है.
ऑपरेशन सागर रानी
केरल सरकार ने भी मछलियों के संरक्षण में फोर्मलिन रसायन के प्रयोग पर अपनी चिंता प्रकट की है. पिछले वर्ष जून में उस राज्य के खाद्य सुरक्षा विभाग के कर्मचारियों ने फोर्मलिन में संरक्षित मछली आदि की पकड़-धकड़ की थी. इस क्रम में कोल्लम जिले में सीमा-स्थित चेक पोस्ट पर ऐसी सात हजार किलो झींगा मछली और 2,600 किलो अन्य मछलियाँ जब्त की गई थीं. इस अभियान को ऑपरेशन सागर रानी का नाम दिया गया था.
GS Paper 1 Source: The Hindu
Topic : Devadasi system
संदर्भ
हाल के कुछ अध्ययनों से पता चला है कि भगवान् को प्रसन्न करने के लिए बालिकाओं को मंदिरों में छोड़ देने की देवदासी प्रथा न केवल कर्नाटक में प्रचलित है अपितु यह पास के राज्य गोवा में भी एक प्रथा बन गई है.
ज्ञातव्य है कि 1982 में ही कर्नाटक देवदासी (समर्पण प्रतिषेध अधिनियम) पारित हो गया था, परन्तु 36 वर्ष बीत जाने के बाद भी इस कानून को लागू करने के लिए नियम नहीं बने हैं.
अध्ययनों के निष्कर्ष
अध्ययन में बताया गया है कि कौन-कौन बच्चे देवदासी प्रथा के शिकार होते हैं. पता चला है कि जो बच्चियाँ शारीरिक अथवा मानसिक रूप से अशक्त होती हैं, उनको देवदासी बनाने की संभावना अधिक होती है. सामाजिक और आर्थिक रूप से वंचित समुदायों की लड़कियाँ, इस प्रथा की शिकार होती रही हैं. कालांतर में इनको वाणिज्यिक सेक्स रैकेट की ओर धकेल दिया जाता है.
देवदासी प्रथा क्या है?
यह एक धार्मिक प्रथा है जिसमें अभिभावक अपनी बेटी का किसी देवता अथवा मंदिर से विवाह कर देते हैं. यह विवाह साधारणतः बच्चियों के वयस्क होने के पहले हो जाता है. हाल के दशकों में इस प्रथा का दुरूपयोग बालिकाओं को वेश्यावृत्ति में धकेलने के लिए हुआ है.
कई राज्यों ने इस प्रथा के उन्मूलन के लिए कानून बनाए हैं, परन्तु दक्षिण के कुछ राज्यों में यह प्रथा अभी भी चल रही है.
देवदासी प्रथा का गैरकानूनी स्वरूप
देवदासी प्रथा किसी भी रूप में क्यों न हो, यह आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 के अनुभाग 370 और 370(a) के विरुद्ध तो है ही, साथ ही यह भारतीय दंड संहिता के अनुभाग 372 के अधीन भी एक अपराध है. इसके अतिरिक्त यह प्रथा अनैतिक आवागमन (रोकथाम) अधिनियम का भी उल्लंघन करती है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Raisina Dialogue
संदर्भ
हाल ही में नई दिल्ली में भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक विषयों पर प्रत्येक वर्ष होने वाले भारत की मूर्धन्य बैठक – रायसीना संवाद (Raisina Dialogue) – का चौथा संस्करण आयोजित किया गया.
“नवाचार के लिए उचित मूल्य” पहल
- अमेरिका के चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के वैश्विक नवाचार नीति केंद्र (Global Innovation Policy Center – GIPC) ने इस बार रायसीना संवाद के अवसर पर एक नई नवाचार पहल का अनावरण किया.
- इस पहल का शीर्षक “नवाचार के लिए उचित मूल्य” रखा गया है.
- इस पहल के माध्यम से क्रांतिकारी नवाचार को प्रोत्साहित किया जाएगा और इस बात का पता लगाया जायेगा कि नीति निर्मातागण किस प्रकार नवाचार की पूंजी को भारत में तथा विश्व-भर में अनुसंधान, पैरोकारी, भागीदारियों एवं कार्यक्रमों के माध्यम से उपयोग में ला सकते हैं.
रायसीना संवाद क्या है?
यह एक वार्षिक भूराजनैतिक आयोजन है जिसकी व्यवस्था भारत सरकार का विदेश मंत्रालय आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ORF) नामक संगठन के साथ मिलकर करता है.
इस संवाद की रुपरेखा कुछ ऐसी बनाई गई है कि जिससे ऐशिया के समेकीकरण की संभावनाओं और अवसरों के साथ-साथ पूरे विश्व के साथ उसके समेकीकरण के मार्ग तलाशे जा सकें. यह संवाद यह मानकर चलता है कि हिन्द महासागर क्षेत्र में भारत की महत्त्वपूर्ण भूमिका है और भारत अपने सहयोगियों के साथ एक स्थिर क्षेत्रीय एवं वैश्विक व्यवस्था का निर्माण कर सकता है.
प्रतिभागीगण
इस रायसीना संवाद में कई हितधारक और विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि प्रतिभागिता करते हैं. इनमें प्रमुख हैं – नीति-निर्माता और निर्णयकर्ता; अलग-अलग देशों के विदेश रक्षा एवं वित्त मत्री; उच्च स्तर के सरकारी अधिकारी; व्यवसाय और उद्योग से सम्बंधित अग्रणी व्यक्ति तथा मीडिया और शिक्षा संस्थानों के सदस्य आदि.
आयोजन का माहात्म्य
रायसीना संवाद 2016 से आरम्भ हुआ है. इसके पीछे यह विश्वास था कि वर्तमान शताब्दी एशिया की शताब्दी है जैसा कि बहुत लोग कह रहे थे. परन्तु एशिया का उत्कर्ष एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र का ही उत्कर्ष है, ऐसी बात नहीं है. इसमें एशिया के अतिरिक्त एशिया के बाहर के भी लोगों की सहभागिता होगी. इसलिए इस संवाद की अभिकल्पना एक ऐसे मंच के रूप में की गई जहाँ पुराने और नए जगत के लोग एक जगह मिलकर काम करें तथा अपने सम्पर्कों और अपनी पारस्परिक निर्भरता पर अपने विचार प्रकट करें.
GS Paper 3 Source: Down to Earth
Topic : Crocodile Census
संदर्भ
ओडिशा में वहाँ के भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान में और केंद्रपाड़ा जिले के अन्य निकटस्थ क्षेत्रों में स्थित जलाशयों में मगरों की गणना की गई.
गणना में क्या पाया गया?
- गणना से पता चला कि भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान और केंद्रपाड़ा जिले के अन्य निकटस्थ क्षेत्रों में नमकीन पानी के मगरों की संख्या बढ़ गयी है. ऐसे मगरों को मुहाने वाले मगर (Crocodylus porosus) भी कहा जाता है.
- कुल मिलाकर ऐसे 1,742 मगर पाए गये.
- विश्वास किया जाता है कि मगरों की संख्या में यह वृद्धि सरकार के कुछ दूरदर्शी उपायों का परिणाम है.
मगरों के प्रकार
मगरों के मुख्यतः तीन प्रकार होते हैं – मगर, घड़ियाल और नमकीन पानी में रहने वाले सरीसृप.
मगर
- इन्हें भारतीय सरीसृप अथवा दलदली सरीसृप भी कहते हैं. ये मगर पूरे भारतीय महाद्वीप में पाए जाते हैं.
- IUCN ने मगर को संकटग्रस्त सूची में रखा है.
- मगर मुख्य रूप से मृदुजल की प्रजाति है जो झीलों, नदियों और दलदलों में पाए जाते हैं.
घड़ियाल
- घड़ियाल भारतीय उपमहाद्वीप मूल का सरीसृप है जो मछली खाने के लिए जाना जाता है.
- IUCN की सूची में इसे विकट रूप से संकटग्रस्त बताया गया है.
- जिन जलाशयों आदि में घड़ियाल पाए जाते हैं, वे हैं – राष्ट्रीय चम्बल आश्रयणी, कतरनिया घाट वन्य जीव आश्रयणी और सोन नदी आश्रयणी की नदियाँ तथा ओडिशा की सतकोसिया गोर्ज आश्रयणी में महानदी का वर्षा-वन क्षेत्र.
नमकीन पानी में रहने वाले सरीसृप
- ये सरीसृप भारत के समस्त पूर्वी समुद्र तट में पाए जाते हैं.
- ये सभी सरीसृपों में विशालतम होते हैं.
- IUCN में ये उन प्रजातियों की सूची में आते हैं जिनपर विलुप्ति का खतरा सबसे कम है.
भारत के सरीसृप संरक्षण कार्यक्रम
घड़ियाल और नमकीन पानी में रहने वाले सरीसृपों के संरक्षण का कार्यक्रम – यह कार्यक्रम सबसे पहले ओडिशा के द्वारा 1975 में लागू किया गया था. इसके लिए धन और तकनीकी सहयोग भारत सरकार के माध्यम से UNDP/FAO से प्राप्त हुआ था.
दंगमाल की बाउला परियोजना
यह परियोजना भीतरकनिका आश्रयणी के दंगमाल में चलाई जा रही है. विदित हो कि ओडिया भाषा में नमकीन पानी में रहने वाले सरीसृप को बाउला कहते हैं.
रामतीर्थ की मगर परियोजना
यह परियोजना ओडिशा के रामतीर्थ केंद्र में संचालित है और इसका कार्य मगरों का संरक्षण करना है.
घड़ियाल परियोजना
यह परियोजना ओडिशा के टीकरपाड़ा में चल रही है.
चिड़ियाँघर में सरीसृप प्रजनन कार्यक्रम
यह कार्यक्रम ओडिशा के प्रसिद्ध चिड़ियाघर नंदनकानन में संचालित हो रही है.
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