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KKUPSC Daily Current Affairs, 21 January 2019


Prelims Special

India’s First Lithium Ion Giga Factory :-

  • भारत में पहली लिथियम आयन गीगा फैक्ट्री के निर्माण के लिये भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) और लिबकॉइन (Libcoin) के बीच वार्ता चल रही है.
  • इस संयंत्र की क्षमता 30 GWh तक बढ़ाई जाएगी। इसके साथ ही भारत ने ऊर्जा सुरक्षा और स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में अपनी प्रतिबद्धता को स्पष्ट किया है.
  • यह परियोजना मेड बाई इंडिया, फॉर इंडिया के तहत शुरू की जाएगी। इसके अतंर्गत प्रमुख मशीनों का निर्माण देश में किया जाएगा.

B.Tech course in AI by IIT Hyderabad :-

  • IIT हैदराबाद ने कृत्रिम बुद्धि की तकनीक से सम्बंधित एक पूर्णकालिक बैचलर पाठ्यक्रम का अनावरण किया है.
  • ऐसा करके यह संस्थान विश्व का तीसरा और भारत का पहला ऐसा संस्थान बन गया है जहाँ कृत्रिम बुद्धि पर Tech की पढ़ाई होगी.

Places in News- Mount Shindake :

  • जापान के Kuchinoerabu द्वीप में स्थित ज्वालामुखी पर्वत  Shindake फट गया है.
  • यह द्वीप देश के Kirishima-Yaku  राष्ट्रीय उद्यान की सीमाओं के भीतर स्थित है.

Government of India and JICA sign Loan Agreements :-

  • जापान के सरकारी विकास सहायता ऋण कार्यक्रम के अंतर्गत भारत सरकार और JICA के बीच ऋण समझौतों पर हस्‍ताक्षर किये गए.
  • चेन्नई पेरीफेरल रिंग रोड -चरण 1 निर्माण परियोजना हेतु 40.074 बिलियन जापानी येन की सहायता.
  • इस परियोजना का उद्देश्‍य चेन्‍नई महानगर क्षेत्र में बढ़ती यातायात मांग को पूरा करना है, जिसे चेन्‍नई बाहरी रिंग रोड (सेक्‍टर-1) बनाकर तथा इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट प्रणाली स्‍थापित करके पूरा किया जा सकता है.
  • इससे यातायात भीड़-भाड़ में कमी होगी और क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा.

Palestine assumes chairmanship of G77 :-

  • G77 (ग्रुप ऑफ़ 77) की अध्यक्षता फिलिस्तीन को मिल गई है. इसके पहले इस संस्था का मिस्र अध्यक्ष था.
  • G77 संयुक्त राष्ट्र का एक समूह है जिसमें 134 विकासशील देश सदस्य हैं.
  • इसकी स्थापना 15 जून, 1964 को हुई थी.

National Museum of Indian Cinema in Mumbai :-

  • मुंबई में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय भारतीय सिनेमा संग्राहलय का उद्घाटन किया.
  • यहाँ दृश्यों, चित्रों, शिल्पों, प्रदर्शनियों एवं मल्टी-मीडिया के माध्यम से भारतीय सिनेमा की सौ वर्षों की यात्रा को चित्रित किया गया है.

Chowmahalla Palace :-

  • चौमहल्ला महल हैदराबाद के पूर्व निजाम के महल को कहते हैं.
  • इसे निजाम सलाबत जंग ने बनवाया था.
  • हाल ही में इस महल के जीर्णोद्धार का काम पूरा हुआ.

Shehri Samridhi Utsav:

  • आगामी फरवरी 1 से 15 के बीच भारत सरकार के आवास और शहरी गरीबी उपशमन मंत्रालय शहरी समृद्धि उत्सव मनाने जा रहा है.
  • इस उत्सव के माध्यम से राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन को गरीबों में से भी गरीब तक पहुँचाने की दिशा में किये गये कार्यों को सबके समक्ष लाना है और साथ ही स्वयं सहायता समूहों को सरकार की विभिन्न योजनाओं से परिचय करना है.

Diffo Bridge :-

  • अरुणाचल प्रदेश में रोइंग-कोरोन-पाया मार्ग में दिफो नदी के ऊपर एक पुल का उद्घाटन हाल ही में किया गया है.
  • इसे बोर्डर रोड्स आर्गेनाईजेशन ने तैयार किया है.

GS Paper 1 Source: Indian Express

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Topic : Goa’s ‘Opinion Poll Day’

संदर्भ

विगत जनवरी 16, 2019 को गोवा में 52वाँ “अस्मितई दिस” अर्थात् पहचान दिवस (Identity Day) मनाया गया.

अस्मितई दिस का माहात्म्य

जनवरी 16 वह तिथि है जब 1967 में गोवा के निवासियों ने महाराष्ट्र में विलय के विरुद्ध मतदान किया था और संघीय क्षेत्र के रूप में रहना स्वीकार किया था. इसके लिए वहाँ जनमत संग्रह हुआ था जिसे बहुधा “मंतव्य चुनाव दिवस/opinion poll day” भी कहा जाता है.

इतिहास

1961 में जब गोवा पुर्तगाल के औपनिवेशक शासन से मुक्त हुआ, उसी समय से उसे महाराष्ट्र में मिलाने की सुगबुगाहट चालू हो गई थी. इसके लिए तर्क यह दिया जा रहा था कि दोनों में सांस्कृतिक समानता है और गोवा में बोली जाने वाली भाषा कोंकणी एक स्वतंत्र भाषा न हो कर मराठी की ही एक बोली है. धीरे-धीरे लोग दो खेमें में बँट गये. एक खेमा मराठी के बल पर गोवा को महाराष्ट्र में चाहता था तो दूसरा खेमा कोंकणी को अपनी भाषा मानते हुए गोवा को एक अलग राज्य के रूप में देखना चाहता था. इस परिस्थिति में दिसम्बर, 1966 में संसद ने गोवा, दमन एवं दीव (मन्तव्य चुनाव अधिनियम) पारित किया जिससे गोवा, दमन और दीव के मतदाता इस विषय में अपना मंतव्य दे सकें.

मतदान में अधिकांश लोगों ने विलय के विरुद्ध मत दिया. अतः गोवा के महाराष्ट्र में विलय का प्रश्न समाप्त हो गया. कालांतर में गोवा संघीय क्षेत्र न रहकर राज्य बनने की चाह करने लगा. वहाँ के लोगों की यह चाह भी रंग लाने लगी और अंततोगत्वा गोवा देश का 25वाँ राज्य बन गया. परन्तु दमन और दीव पहले के समान संघीय क्षेत्र रह गये.

पाँच वर्ष बाद अगस्त 20, 1992 को संविधान में 71वाँ संशोधन हुआ जिसके फलस्वरूप कोंकणी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर लिया गया.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Constitutional provisions for Nagaland to reject the Citizenship (Amendment) Bill, 2016

संदर्भ

नागालैंड की सरकार में भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी दल राष्ट्रवादी जनतांत्रिक प्रगतिवादी दल (Nationalist Democratic Progressive Party (NDPP) ने कहा है कि नागरिकता (संशोधन) विधयेक, 2016 को राज्य अस्वीकार कर सकता है और इसके लिए संविधान में प्रावधान भी है.

पृष्ठभूमि

नागालैंड के साथ-साथ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में नागरिकता (संशोधन) विधयेक के लोकसभा में पारित होने के अनंतर विरोध देखने को मिला है.

संवैधानिक स्थिति क्या है?

संविधान की धारा 371(A) कहती है कि  संसद द्वारा पारित कोई भी अधिनियम नागालैंड में तब तक प्रभावी नहीं होगा जब तक वहाँ की विधानसभा एक संकल्प पारित कर इस आशय का निर्णय नहीं ले लेती.

बंगाल पूर्वी-सीमांत नियम 1873 :- इस नियम के अनुसार भारत सरकार को यह अधिकार दिया गया है कि वह नागाओं की नागरिकता, अधिकारों और विशेषाधिकारों की सुरक्षा के लिए बाहरी लोगों को इनर लाइन परमिट निर्गत कर सकता है. विदित हो कि इनर लाइन परमिट भारत सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो भारत के किसी नागरिक को किसी संरक्षित क्षेत्र के भीतर सीमित अवधि के लिए प्रवेश की छूट देटा है.

पूर्वोत्तर राज्यों में विधेयक का विरोध क्यों?

  • जैसा कि हम जानते हैं कि नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 में यह प्रावधान किया गया है कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से भारत में आने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जायेगी.
  • असम में अवैध शरणार्थियों को धर्म के चश्मे से नहीं देखा जाता है और इसलिए वहाँ के लोगों की माँग है कि ऐसे सभी आव्रजकों को वापस भेज दिया जाए.
  • मिज़ोरम के निवासियों को डर है कि इस विधेयक से बनने वाले अधिनियम का बांग्लादेश से आने वाले चकमा शरणार्थी लाभ उठा लेंगे. विदित हो कि चकमा समुदाय बौद्ध धर्म का पालन करता है.
  • मेघालय और नागालैंड को डर है कि इसी बहाने बंगाली समुदाय के लोग उन राज्यों में बस जाएँगे.
  • अरुणाचल प्रदेश के कई लोगों को यह आशंका है कि नए नियमों का लाभ चकमा और तिब्बती समुदाय उठा लेगा.
  • मणिपुर चाहता है कि बाहर से राज्य में घुसने वाले लोगों को इनर लाइन परमिट प्रणाली का प्रयोग कर रोक दिया जाए.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Lokpal Debate

संदर्भ

यद्यपि 2013 में ही लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम पारित हो चुका है पर अभी तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं हुई है. इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में लोकपाल संधान समिति पर यह दबाव बनाया है कि वह प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित चयन समिति (selection committee) को फरवरी 28 तक उपयुक्त व्यक्तियों की नियुक्ति हेतु अपनी अनुशंसा जमा कर दें.

चिंता का विषय

यह अत्यंत चिंता का विषय है कि लोकपाल जैसे महत्त्वपूर्ण पद पर सरकार अभी तक किसी को नियुक्त नहीं कर पाई है. लोकपाल की संस्था घूसखोरी की रोकथाम के लिए बनी है. अतः भ्रष्टाचार को यदि निर्मूल करना है तो लोकपाल की नियुक्ति शीघ्र से शीघ्र होनी आवश्यक है. इसके लिए सर्वोच्च न्यायालय को सरकार को टोकना पड़ता है, यह खेद का विषय प्रतीत होता है.

लोकपाल की नियुक्ति के लिए चयन समिति का स्वरूप

लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के अनुसार नियुक्ति के लिए लोकपाल का चयन एक उच्च-स्तरीय चयन समिति करेगी जिसका स्वरूप निम्नलिखित होगा –

  • प्रधानमन्त्री
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश
  • लोकसभा अध्यक्ष
  • सबसे बड़े विपक्षी दल का नेता
  • एक सुप्रतिष्ठित न्याय न्यायवेत्ता

लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के मुख्य तत्त्व

  • यह अधिनियम केंद्र में लोकपाल और राज्य में लोक्यायुक्त के गठन का प्रावधान करता है जिसका मूल उद्देश्य भ्रष्टाचार का निवारण है.
  • लोकपाल में एक अध्यक्ष और अधिकतम आठ सदस्य होंगे.
  • लोकपाल भ्रष्टाचार के जिन मामलों को देखेगा उसके अन्दर सरकारी प्रधानमन्त्री समेत केंद्र सरकार के सभी सरकारी सेवकों से सम्बंधित होंगे. परन्तुसेना लोकपाल के दायरे में नहीं आयेंगे.
  • अधिनियम के अनुसार लोकपाल को यह अधिकार है कि वह भ्रष्ट तरीकों से अर्जित सम्पत्ति को जब्त कर सकता है चाहे सम्बंधित मुकदमा अभी चल ही क्यों नहीं रहा हो.
  • अधिनियम के अनुसार इस अधिनियम के प्रभावी होने के एक वर्ष के अन्दर सभी राज्यों को अपना-अपना लोकायुक्त गठित कर लेना होगा.
  • लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 में यह सुनिश्चित किया गया है कि जो सरकारी सेवक भ्रष्टाचार की किसी मामले के बारे में पहली सूचना देंगे, उनको सुरक्षा प्रदान की जायेगी.

लोकपाल की शक्तियाँ

  • लोकपाल CBI समेत किसी भी छानबीन एजेंसी को कोई मामला जाँच के लिए भेज सकता है और उसका पर्यवेक्षण और निगरानी कर सकता है.
  • यदि किसी सरकारी सेवक के विरुद्ध प्रथम दृष्टया मामला बनता है तो लोकपाल छानबीन एजेंसी द्वारा पड़ताल आरम्भ होने के पहले भी उस सेवक को बुला सकता है और पूछताछ कर सकता है.
  • यदि लोकपाल ने कोई मामला CBI को जाँच-पड़ताल के लिए दिया है तो उस CBI अधिकारी को बिना लोकपाल की अनुमति के बिना स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है.
  • जाँच एजेंसी को जाँच का काम छह महीने में पूरा करना होगा. परन्तु लोकपाल सही और लिखित कारण होने पर छह महीने का विस्तार दे सकता है.
  • लोकपाल के द्वारा भेजे गए मामलों पर सुनवाई के लिए विशेष न्यायालय बनाए जायेंगे.

आगे की राह

यह सही बात है कि संधान समिति (search committee) का काम उतना सरल नहीं है. उसे जिन क्षेत्रों से उम्मेदवार चुनना है, उनमें अतिशय विविधता है, जैसे – भ्रष्टाचार विरोधी नीति, लोक प्रशासन, कानून, बैंकिंग, बीमा आदि. इसके अतिरिक्त चुने गये उम्मीदवारों में आधी स्त्रियाँ तथा पिछड़े वर्ग, अल्पसंख्यक वर्ग एवं अ.जा./अ.ज.जा. जातियों के होने चाहिएँ. फिर भी अंततोगत्वा यह सरकार का ही कर्तव्य है कि वह चयन की प्रक्रिया में तेजी लाये.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Pradhan Mantri Rozgar Protsahan Yojana (PMRPY)

संदर्भ

जनवरी 14, 2019 को रोजगार सृजन करने के लिए लाई गई भारत सरकार की मूर्धन्य योजना – प्रधानमन्त्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (PMRPY) – ने एक करोड़ लाभार्थियों को लाभ पहुँचाने का काम पूरा कर लिया है.

प्रधानमन्त्री रोजगार प्रोत्साहन योजना (PMRPY) क्या है?

  • यह योजना 2016-17 के बजट में घोषित हुई थी.
  • इस योजना का कार्यान्वयन श्रम एवं नियोजन मंत्रालय कर रहा है.
  • इस योजना का उद्देश्य रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना है.
  • PMRPY योजना को नियुक्ति प्रदान करने वाले लोगों (employers) को नए रोजगार के निर्माण हेतु प्रोत्साहित करने के लिए तैयार किया गया है.
  • इस योजना के तहत नए नियुक्त कर्मचारी की EPS का 33% योगदान का वहन भारत सरकार करेगी.
  • यह योजना उन कामगारों के लिए है जो 15,000 रू. तक की मजदूरी कमाते हैं.
  • PMRPY योजना से नियुक्ति करने वाले व्यक्ति को अपने स्टाफ की संख्या बढ़ाने में प्रोत्साहन मिलेगा.
  • इस योजना का यह भी लाभ है कि अधिक से अधिक व्यक्ति ऐसे प्रतिष्ठानों (establishment) में सम्मिलित होंगे.
  • प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना का एक लाभ यह भी है कि अधिक से अधिक लोग नियुक्त होकर सामाजिक सुरक्षा की विभिन्न योजनाओं, जैसे – भविष्य निधि, पेंशन, मृत्यु से जुड़ी बीमा आदि का लाभ प्राप्त करने की स्थिति में आ जायेंगे.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Pradhan Mantri Awas Yojana- Gramin (PMAY-G)

संदर्भ

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के एक नवीनतम अध्ययन के अनुसार प्रधान मंत्री आवास योजना – ग्रामीण (PMAY G) के कार्यान्वयन की स्थिति अच्छी नहीं है. इसके अंतर्गत मार्च 1, 2019 तक एक करोड़ घर बना लेते थे.  परन्तु आज भी 12 लाख घर बनने शेष हैं और लाभार्थियों में 12% को ही अब तक भूमि दी गई है.

अध्ययन के कुछ मुख्य तथ्य

  • पूरे देश में 72 लाख लाभार्थी चुने गये थे जिनमें 56,694 को ही भूमि अब तक आवंटित हो सकी है.
  • इस योजना के लिए भूमि आवंटन में सबसे अच्छा काम करने वाले राज्य सिक्किम, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश हैं.
  • लाभार्थियों को भूमि आवंटित करने के मामले में गोवा, केरल और प. बंगाल का प्रदर्शन शून्य रहा.

प्रधान मंत्री आवास योजना – ग्रामीण क्या है?

  • यह योजना पुरानी इंद्रा आवास योजना (IAY) को रूपांतरित करते हुए 4.2016 से लागू हुई है.
  • इस योजना का लक्ष्य 2022 तक उन व्यक्तियों को बुनियादी सुविधाओं से युक्त पक्का घर देना है जो या तो बिना घर के हैं या उनके घर कच्चे और टूटे-फूटे हैं.
  • घर बनाने की लागत को मैदानी क्षेत्रों में 60:40 और पूर्वोत्तर एवं हिमालयी राज्यों में 90:10 के हिसाब से क्रमशः केंद्र और राज्य सरकारें बाँटती हैं.
  • इस योजना के अन्दर गाँवों में राजमिस्त्री के काम का प्रशिक्षण भी दिया जाता है जिससे कि अच्छे घर बन सकें और साथ ही गाँव में ही कुशल राजमिस्त्री मिल सकें. इसके अतिरिक्त इसका एक उद्देश्य गाँवों में रोजगार का सृजन करना है.

लाभार्थियों का चयन

इस योजना के लिए सामाजिक, आर्थिक एवं जाति-जनगणना (SECC), 2011 में वर्णित घरों की स्थिति को आधार बनाया गया है. इसके लिए ग्राम सभा द्वारा सत्यापन का भी नियम बनाया गया है.


GS Paper 3 Source: Indian Express

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Topic : Sustainable Catchment Forest Management launched in Tripura

संदर्भ

त्रिपुरा सरकार ने जापान अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (Japan International Cooperation Agency – JICA) की सहायता से एक नई परियोजना चालू की है जिसका नाम है – SCATFORM (Sustainable Catchment Forest Management).

SCATFORM परियोजना क्या है?

  • इस परियोजना का उद्देश्य जंगल कम होने को रोकना और झूम खेती के द्वारा जंगलों की गुणवत्ता में ह्रास को रोकना है. जंगलों को क्षति पहुँचने से पहाड़ी ढलानों, विशेषकर ऊपरी जल-संग्रह क्षेत्रों में, मिट्टी के क्षरण का जोखिम बढ़ जाता है.
  • कार्यान्वयन की पद्धति : यह योजना ऊपरी जल-संग्रह क्षेत्रों में ही मुख्य रूप से लागू होगी क्योंकि वहीं जंगल अधिक नष्ट हुए हैं और वहीं मिट्टी का भी क्षरण सबसे अधिक हुआ है. इस कारण उन्हीं क्षेत्रों में रोजगार की स्थिति में सुधार लाने की आवश्यकता अधिक है.
  • परियोजना का उद्देश्य जंगलों की गुणवत्ता में सुधार लाना है जिसके लिए टिकाऊ वन प्रबंधन, मिट्टी और नमी के संरक्षण तथा आजीविका के विकास का सहारा लेने का प्रावधान किया गया है.
  • योजना की अन्य गतिविधियाँ : इस योजना में अभिकल्पित अन्य गतिविधियाँ ये हैं – बाँस रोपना, रोजगार बढ़ाने वाले कृषि मानकी से सम्बन्धित कार्य करना, पर्यावरणिक-पर्यटन का विकास करना, बाँस और अन्य गैर-इमारती उत्पादों से नई-नई चीजें तैयार करना जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के वैकल्पिक अवसर प्राप्त हो सकें.
  • लागत का बंटवारा : इस योजना के लिए लागत का 80% वहन JICA करेगा और शेष राशि केंद्र सरकार और राज्य सरकारे देंगी.

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