The Hindu -Daily News Analysis 22-Jan-2019

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KKUPSC Daily Current Affairs, 22 January 2019


Prelims Special

Alliance to End Plastic Waste (AEPW) :-

  • हाल ही में वैश्विक कंपनियों के एक गुट ने एक नया संगठन बनाया है जिसका नाम APEW अर्थात् प्लास्टिक कचरे की समाप्ति के लिए संघ रखा गया है.
  • इस संघ में लगभग 30 कंपनियाँ हैं जिन्होंने वादा किया है कि वे विश्व-भर में प्लास्टिक के कचरे को समाप्त करने के लिए 1 बिलियन डॉलर से अधिक देंगी और इसके लिए अगले पाँच वर्षों में 5 बिलियन डॉलर का निवेश भी करेंगी.
  • यह एक लाभ-रहित संगठन है.
  • इस संघ का उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण को कम करने के उपाय निकालना और प्रयोग में आ चुके प्लास्टिक को फिर से प्रयोग करने को बढ़ावा देना है.

ISRO’s Young Scientist programme :-

  • हाल ही में भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने यंग साइंटिस्ट नामक एक कार्यक्रम की घोषणा की है.
  • यह कार्यक्रम एक महीने का है जिसमें बच्चों को छोटे-छोटे उपग्रह बनाने का व्यावहारिक अनुभव उपलब्ध कराया जाएगा.
  • ये बच्चे अधिकांशतः 8वीं कक्षा पास बच्चे होंगे. उनको अनुसंधान प्रयोगशालाओं में ले जाया जाएगा और उन्हें लेक्चर दिया जाएगा.
  • प्रत्येक राज्य/संघीय क्षेत्र से 3-3 छात्र इसके लिए चुने जाएँगे.

‘Operation Kabaddi’ :-

  • हाल ही में सेना के भूतपूर्व कमांडरों की एक पुस्तक प्रकाशित हुई है जिसका नाम Line of Fire है.
  • इस पुस्तक में प्रकट किया गया है कि 2001 में नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तान में स्थित 25 चुनिंदे चौकियों को ध्वस्त करने की एक योजना बनी थी जिसका नाम ऑपरेशन कब्बडी दिया गया था.

Maniyaro :-

  • मनियारो गुजरात का एक लोकनृत्य है जो गुजरात के माहेर समुदाय में प्रचलित है.
  • इस नृत्य में ढोलक, बाँसुरी और रावण हत्थो जैसे वाद्य-यंत्रों का प्रयोग होता है और इसमें भाँति-भाँति की भावनाओं से युक्त गीत भी गाये जाते हैं.

Aadhaar as travel documents to visit Nepal, Bhutan :-

हाल ही में यह निर्णय लिया गया है कि 15 वर्ष के नीचे और 65 वर्ष के ऊपर के भारतीयों को नेपाल और भूटान जाने में अब आधार कार्ड को एक वैध-दस्तावेज माना जाएगा.

33rd district of Tamil Nadu- Kallakurichi :-

  • हाल ही में तमिलनाडु सरकार ने राज्य के 33वें जिले का सृजन किया है.
  • यह जिला विल्लुपुरम जिले से काटकर निकाला गया है और इसके नाम कल्लाकुरिची होगा.

India’s second defence industrial corridor :-

  • हाल ही में तमिलनाडु रक्षा औद्योगिक गलियारे का उद्घाटन हुआ.
  • यह इस प्रकार का देश का दूसरा गलियारा है.
  • पहला गलियारा उत्तर प्रदेश में तैयार हो रहा है.
  • यहाँ भाँति-भाँति के आयुध बनाने की इकाइयाँ लगेंगी.

Small Woodbrown butterfly :-

  • हाल ही में सिक्किम के कंचनजंघा राष्ट्रीय उद्यान में स्थित बखीम स्मॉल वुडब्राउन जाति की तितली 120 वर्षों के बाद शोधकर्ताओं को दिखाई पड़ी है.
  • यह तितली बहुत छोटी होती है और इसके पंख 50 मिलीमीटर ही लम्बे होते हैं.
  • भारत में यह प्रजाति पूर्वी हिमालय क्षेत्र के 1800 से 2800 मीटर ऊँचे जंगलों में पाई जाती है.

Two new species of moss rose discovered in south India :-

Portulaca badamica_Portulaca lakshminarasimhaniana

  • मोस रोज की दो नई प्रजातियों की दक्षिण भारत में खोज की गई है.
  • ये प्रजातियाँ हैं – Portulaca badamica और Portulaca lakshminarasimhanian.
  • ये दोनों प्रजातियाँ IUCN के अनुसार विकट रूप से संकटग्रस्त प्रजातियाँ हैं.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Appointment of Chief Information Commissioner

संदर्भ

जनवरी 1, 2019 को भूतपूर्व विधि सचिव सुरेश चन्द्र को केन्द्रीय सूचना आयुक्त के पद पर नियुक्त किया गया है. इस नियुक्ति का कुछ लोगों ने यह कहकर विरोध किया है कि सुरेश चन्द्र ने इस पद के लिए आवेदन नहीं किया था, अतः उनकी नियुक्ति अवैध है.

विवाद और सरकार का पक्ष

सूचना अधिकार कार्यकर्ताओं का कहना था कि सरकार ने स्वयं सर्वोच्च न्यायालय में कहा था कि एक संधान समिति प्राप्त आवेदनों की छटनी कर उम्मीदवारों की सूची बनाने जा रही है. परन्तु जिस व्यक्ति की अंत में नियुक्ति की गई उसने आवेदन दिया ही नहीं था. इस प्रकार सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को समर्पित अपने ही कथन का उल्लंघन किया है. इसपर सरकार का तर्क था कि अनुसंधान समिति का काम आवेदकों तक ही नहीं सीमित होता है, अपितु वह किसी भी योग्य उम्मीदवार का नाम सुझा सकती है.

चयन समिति का स्वरूप

सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के अनुभाग 12(3) के अनुसार मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की एक समिति के द्वारा की जायेगी जिसमें ये शामिल होंगे –

  • प्रधानमंत्री, जो समिति के अध्यक्ष होंगे;
  • लोकसभा के नेता प्रतिपक्ष;
  • प्रधानमंत्री द्वारा नामित किया जाने वाला एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री.

केन्द्रीय सूचना आयोग के पदों के लिए अर्हता

  • सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के अनुभाग 12 (5) के अनुसार मुख्य सूचना आयुक्त एवं अन्य केन्द्रीय सूचना आयुक्त वे व्यक्ति होंगे जो सार्वजनिक रूप से सुप्रतिष्ठित होंगे और जिन्हें इन विषयों का गहन ज्ञान और अनुभव होगा – विधि, विज्ञान एवं तकनीक, समाज सेवा, प्रबन्धन, पत्रकारिता, जन-मीडिया अथवा प्रशासन.
  • अधिनियम के अनुभाग 12 (6) में यह बतलाया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त अथवा केन्द्रीय सूचना आयुक्त संसद के सदस्य अथवा किसी भी राज्य अथवा केन्द्रीय-शाषित क्षेत्र के विधायक नहीं होंगे. साथ ही वे ऐसे व्यक्ति नहीं होंगे जो किसी अन्य लाभ के पद पर हैं अथवा किसी राजनीतिक दल से जुड़े हुए हैं अथवा कोई व्यवसाय करते हों अथवा कोई पेशा करते हों.

मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल और वेतन

  • अधिनियम केअनुभाग 13 के अनुसार मुख्य सूचना आयुक्त का कार्यकाल पदधारण के अगले पाँच साल तक या 65 वर्ष की आयु तक होगा. उसकी दुबारा नियुक्ति नहीं होगी.
  • अधिनियम केअनुभाग 13(5)(a) में बतलाया गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त का वेतन, भत्ते और अन्य सेवा शर्तें वही होंगी जो मुख्य चुनाव आयुक्त की होती हैं.

केन्द्रीय सूचना आयुक्तों का कार्यकाल एवं सेवा शर्तें

  • प्रत्येक सूचना आयुक्त, उस तारीख से, जिसको वह अपना पद ग्रहण करता है,पाँच वर्ष की अवधि के लिये या 65 वर्ष की आयु प्राप्त करने तक इनमें से जो भी पहले आये, पद धारण करेगा और सूचना आयुक्त के रूप में पुनर्नियुक्ति के लिये पात्र नहीं होगा.
  • परन्तु प्रत्येक सूचना आयुक्त, इस उपधारा के अधीन अपना पद रिक्त करने पर, धारा 12 की उपधारा (3) में विनिर्दिष्ट रीति से मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्ति के लिये पात्र होगा.
  • परन्तु यह प्रावधान भी है कि जहाँ सूचना आयुक्त को मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में नियुक्त किया जाता है वहाँ उसकी पदावधि सूचना आयुक्त और मुख्य सूचना आयुक्त के रूप में कुल मिलाकर पाँच वर्ष से अधिक नहीं होगी.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Manipur People’s Protection Bill

संदर्भ

भारत सरकार के नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2018 के विषय में मणिपुर राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है कि वह इसका विरोध करेगी यदि इसमें पूर्वोत्तर क्षेत्र के मूल निवासियों, विशेषकर मणिपुर के मूल निवासियों, को सुरक्षित करने के लिए कोई प्रावधान नहीं किया जाएगा.

इस संदर्भ में राज्य ने भारत सरकार के गृह मंत्री को एक स्मारपत्र भी दिया है जिसमें अनुरोध किया गया है कि मणिपुर लोक (सुरक्षा) विधेयक, 2018 पर राष्ट्रपति का अनुमोदन प्राप्त किया जाए जिससे राज्य के लोगों के हितों की सुरक्षा हो सके.

विधेयक के मुख्य तत्त्व

  • विदित हो कि अंग्रेजों के जमाने में पूर्वोत्तर के राज्यों – अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड – में लोगों के आवागमन को नियंत्रित करने के लिए एक अनुमति प्रणाली बनाई थी.
  • यह विधेयक उसी प्रणाली का अनुसरण करते हुए मणिपुर में बाहरी लोगों के आने-जाने को नियंत्रित करने हेतु बनाया गया है.
  • विधेयक में स्थानीय लोगों को परिभाषित करने के लिए तथा बाहरी लोगों के आगमन को रोकने के लिए 1951 वर्ष को आधारवर्ष के रूप में चयन किया गया है.
  • विधेयक के अनुसार मणिपुरी लोगों में मैतियों (Metis), पंगल मुस्लिमों (Pangal muslims), संविधान में वर्णित अनुसूचित जातियों के साथ-साथ उन सभी भारतीय नागरिकों को सम्मिलित किया गया है जो मणिपुर में 1951 के पहले से रह रहे हैं.
  • शेष अन्य सभी लोगों को गैर-मणिपुरी बताया गया है जिनको कानून की अधिसूचना के एक महीने के अन्दर अपने आप को पंजीकृत करवाना होगा. इन लोगों को सरकार एक पास देगी जो अधिकतम छ: महीनों के लिए होगा. जिन लोगों को व्यापार लाइसेंस दिया जायेगा वे प्रत्येक वर्ष अपना पास नया करवाएंगे. इस पास को अधिकतम पाँच साल तक बढ़ाया जा सकता है.
  • मणिपुर यात्रा करने वाला किसी भी बाहरी आदमी को एक पास लेना जरुरी होगा.

विधयेक के अधिनियम बन जाने के पश्चात् 1951 के बाद मणिपुर में आने वाले लोगों को विदेशी माना जाएगा और उन्हें मताधिकार एवं भूमि पर स्वत्वाधिकार नहीं होगा.

इनर लाइन परमिट

  • ज्ञातव्य है कि 2015 में यह विधेयक पारित हो चुका था पर इसपर राष्ट्रपति की स्वीकृति नहीं मिली थी.
  • इस सन्दर्भ ध्यान देने योग्य बात है कि मणिपुर एक छोटी आबादी वाला राज्य है.
  • परन्तु यहाँ बहुत सारे पर्यटक आते हैं तथा साथ ही बांग्लादेश, नेपाल और बर्मा के निवासी भी यहाँ आकर रहने लगे हैं.
  • इससे जनसंख्या का स्वरूप असंतुलित हो गया है.
  • इस कारण यहाँ के मूल निवासी घबरा गए हैं. उन्हें डर है कि उनकी नौकरियों और आजीविकाओं को राज्य के बाहर के लोग छीन रहे हैं.
  • यह सब देखते हुए मणिपुर सरकार ने 2015 में एक विधेयक पारित किया था.
  • Inner Line Permit भारत सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो भारत के किसी नागरिक को किसी संरक्षित क्षेत्र के भीतर सीमित अवधि के लिए प्रवेश की छूट देटा है.
  • ज्ञातव्य है किमणिपुर भी एक संरक्षित क्षेत्र है.
  • फिलहाल Inner Line Permit की आवश्यकता भारतीय नागरिकों को तब होती है जब वह इनतीन राज्यों प्रवेश करना चाहते हैं – अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड.
  • इस विधेयक के पास हो जाने पर मणिपुर में भी यह परमिट लागू हो गया है.
  • वर्तमान में यह परमिटमात्र यात्रा के लिए निर्गत होते हैं.
  • इसमें यह प्रावधान है कि ऐसे यात्री सम्बंधित राज्य में भूसंपदा नहीं खरीद सकेंगे.

GS Paper 2 Source: Down to Earth

Topic : International Solar Alliance

संदर्भ

जन-जन को ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए वित्त की व्यवस्था करने हेतु अंतर्राष्ट्रीय सौर संघ (ISA) एक नया विशेष बैंक स्थापित करने जा रहा है. इसके लिए उस संघ ने एशियाई विकास बैंक को एक अवधारणा-आलेख तैयार करने को कहा है.

विचार है कि प्रस्तावित बैंक सार्वजनिक-निजी भागीदारी से चलाया जाए. बैंक की स्थापना के पीछे उद्देश्य यह है कि विश्व के 1.2 बिलियन लोगों को ऊर्जा मिल सके और साथ ही 2-4 बिलियन लोगों को स्वच्छ ऊर्जा उपलब्ध कराई जा सके.

ISA क्या है?

  • ISA (International Solar Alliance) की स्थापना CoP21 पेरिस घोषणा के अनुसार हुई है.
  • इस संघ का उद्देश्य है सौर ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ावा देना जिससे पेट्रोल, डीजल पर निर्भरता कम की जा सके.
  • सौर संघ का प्रधान लक्ष्य विश्व-भर में 1,000 GW सौर ऊर्जा का उत्पादन करना और इसके लिए 2030 तक सौर ऊर्जा में 1,000 बिलियन डॉलर के निवेश का प्रबंध करना है.
  • यह एक अंतर्राष्ट्रीय, अंतर-सरकारी संघ है जो आपसी समझौते पर आधारित है.
  • अब तक 19 देशों ने इस समझौते को अपनी मंजूरी दे दी है और 48 देशों ने इसके फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं.
  • यह 121 ऐसे देशों का संघ है जो सौर ऊर्जा की दृष्टि से समृद्ध हैं.
  • ये देश पूर्ण या आंशिक रूप से कर्क और मकर रेखा के बीच स्थित हैं.
  • इसका मुख्यालय भारत में है और इसका अंतरिम सचिवालय फिलहाल गुरुग्राम में बन रहा है.

GS Paper 2 Source: Down to Earth

Topic : Smart Food Executive Council

संदर्भ

2013 में आरम्भ की गई “स्मार्ट भोजन पहल” के तत्त्ववधान में हाल ही में “स्मार्ट भोजन कार्यकारणी परिषद्” का गठन किया है जिसमें ये प्रतिष्ठान शामिल होंगे – एशिया-पैसिफिक एसोसिएशन ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूशंस (APAARI), फोरम फॉर एग्रीकल्चरल रिसर्च इन अफ्रीका (FARA), वेस्ट एंड सेंट्रल अफ्रीकन काउंसिल फॉर एग्रीकल्चरल रिसर्च एंड डिवलपमेंट (CORAF), फूड एग्रीकल्चर एंड नेचुरल रिसोर्सेज पॉलिसी एनालिसिस नेटवर्क (FANRPAN) और अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंध क्षेत्र के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT).

स्मार्ट भोजन कार्यकारणी परिषद् की आवश्यकता

इस परिषद् की गठन की आवश्यकता इसलिए पड़ी कि आज विश्व को ऐसे भोजन पदार्थों की जरूरत है जो न केवल उपभोक्ता और किसान के भले के लिए हो, अपितु इस धरती के लिए यह कल्याणकारी हो.

उद्देश्य

अपने लक्ष्य को पाने के लिए यह परिषद् ऐसी अन्नों के उत्पादन पर बल देगी जो पोषण से युक्त हों और साथ ही वातावरण एवं किसानों का कल्याण करे.

माहात्म्य

अनाज भोजन का 70% भाग होते हैं और इन्हें दिन में बहुधा तीन बार खाया जाता है. यदि इन अनाजों में विविधता लाई जाए तो कुपोषण और गरीबी को दूर करने और जलवायु-परविर्तन एवं पर्यावरण के क्षरण जैसी समस्याओं का सामना करने में सहायक हो सकती है.

ऐसा करने से सतत विकास लक्ष्यों के अंतर्गत गरीबी और भूख (SDG 1 और 2) को दूर करने, उत्तरदायी खपत और उत्पादन सुनिश्चित करने (SDG 12), जलवायु परिवर्तन से तालमेल करने (SDG 13), लैंगिक समानता लाने (SDG 5) और भागीदारी के माध्यम से काम करने (SDG 17) जैसे काम सिद्ध किये जा सकते हैं.

स्मार्ट भोजन पहल क्या है?

स्मार्ट भोजन पहल (Smart Food initiative) अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंध क्षेत्र के लिए अंतर्राष्ट्रीय फसल अनुसंधान संस्थान (ICRISAT) के द्वारा आरम्भ की गई पहल है जिसका उद्देश्य भोजन की ऐसी प्रणाली का निर्माण करना है जिसमें उच्च पोषण हो, जो पृथ्वी का भला करने वाला हो और जिसमें छोटे किसानों की भलाई निहित हो. यह एक ऐसी पहल है जिसकी शुरुआत तरह-तरह के मोटे अनाजों को लोकप्रिय बनाने पर बल देने से की जायेगी.


GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Global Economy Watch by PwC

संदर्भ

लन्दन में स्थित बहु-उद्देशीय पेशेवर सेवा नेटवर्क PricewaterhouseCoopers (PwC) ने हाल ही में अपना वैश्विक अर्थव्यस्था निरीक्षण (GEW) प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया है.

PwC के प्रतिवेदन में विश्व की अर्थव्यवस्था के रुझानों और उसको प्रभावित करने वाले विषयों की जानकारी दी जाती है तथा साथ ही विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं के भविष्य के सम्बन्ध में पूर्वानुमान भी प्रस्तुत किया जाता है.

प्रतिवेदन में भारत की स्थिति

  • प्रतिवेदन के अनुसार यह संभावना है कि 2019 में भारत की अर्थव्यवस्था इंग्लैंड की अर्थव्यस्था से आगे निकल जायेगी.
  • प्रतिवेदनानुसार इंग्लैंड और फ्रांस की जनसंख्या और प्रगति का स्तर समान है, अतः ये दोनों देश अर्थव्यस्था के मामले में एक-दूसरे से आगे-पीछे होते रहते हैं. परन्तु यदि भारत एक बार इनसे आगे हो गया तो उसकी रैंकिंग सदा के लिए ऊपर हो जायेगी.
  • प्रतिवेदन में बताया गया है कि इंग्लैंड, फ्रांस और भारत की GDP में 2019 में क्रमशः 6%, 1.7% और 7.6% की वृद्धि होगी.
  • प्रतिवेदन में यह अनुमान लगाया गया है कि यदि विश्व की अर्थव्यवस्था में यदि कोई बड़ा भूचाल – जैसे बढ़ा हुआ व्यापारिक तनाव अथवा तेल की आपूर्ति में उथल-पुथल – नहीं आया तो 2019-20 में भारत की वृद्धि दर 6% होगी.
  • भारत की वृद्धि-दर आगे तब ही बनी रहेगी जब नई-नई अपनाई GST के लाभ मिलते रहें और आने वाली नई सरकार के पहले वर्ष में वर्तमान नीतियों पर बल दिया जाता रहे.

वैश्विक परिदृश्य

  • प्रतिवेदन कहता है कि G7 के देश औसत-वृद्धि दर की ओर लौट जाएँगे और इसलिए 2019 में वैश्विक-वृद्धि की दर धीमी रहेगी.
  • PwC प्रतिवेदन में कहा गया है कि 2016 के अंत और 2018 के आरम्भ के बीच में अधिकांश बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की वृद्धि-दर अब थम गई है.
  • अनुमान है कि श्रमिक और पारिश्रमिक के कारण व्यापारिक संघर्ष बढ़ेंगे. इस संदर्भ में विशेष चिंता अमेरिका और चीन के बीच व्यापार के तनाव से है. इसकी संभावना बनी रहेगी कि व्यापार संघर्ष बड़ा रूप ले सकता है. इसलिए आवश्यकता है कि अलग-अलग परिदृश्यों के लिए योजना बना कर रखी जाए.

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