The Hindu -Daily News Analysis 23-Jan-2019

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KKUPSC Daily Current Affairs, 23 January 2019


Prelims Special

Pravasi Bhartiya Divas 2019 :-

  • जनवरी 21 से 23 के बीच इस वर्ष 15वाँ वार्षिक प्रवासी भारतीय दिवस उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित हो रहा है.
  • इसमें मुख्य अतिथि के रूप में मॉरिशस के प्रधानमन्त्री प्रविंद जगन्नाथ आये हुए हैं.
  • इस आयोजन की थीम है – "नए भारत के निर्माण में प्रवासी भारतीयों की भूमिका".

Flamingo Festival at Pulicat lake :-

  • हाल ही में गत 12 वर्षों से आयोजित हो रहा फ्लेमिंगो उत्सव इस वर्ष एक बार फिर मनाया गया है.
  • इसका आयोजन पुलिकट और नेल्लपट्टु में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए किया गया.
  • विदित हो कि पुलिकट झील चिल्का झील के बाद भारत का दूसरा बड़ा लगून है जो 96% आंध्र प्रदेश और 4% तमिलनाडु में पड़ता है.
  • नेल्लपट्टु एक पक्षी आश्रयणी है जो आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु की सीमाओं पर स्थित पुलिकट झील से 20 किमी. उत्तर में लगभग 459 हेक्टेयर में फैला हुआ है.

World Capital of Architecture :-

  • UNESCO ने हाल ही में ब्राजील के नगर रियो-द-जेनेरो को 2020 के लिए विश्व स्थापत्य राजधानी घोषित किया है.
  • विश्व स्थापत्य राजधानी घोषित होने के कारण अब यहाँ शहरी योजना निर्माण और स्थापत्य के विषय में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा और विमर्श होंगे.

Arunachal govt declares Pakke Hornbill Fest as ‘state festival’ :-

  • अरुणाचल प्रदेश की सरकार ने “पक्के पागा हार्नबिल उत्सव” को एक राज्य उत्सव घोषित कर दिया है.
  • यह उत्सव संरक्षण से जुड़ा हुआ है.
  • विदित हो कि ग्रेट इंडियन हार्नबिल IUCN के अनुसार संकटापन्न (vulnerable) प्रजाति है.
  • यह प्रजाति CITES के अपेंडिक्स I में भी सूचीबद्ध है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : 10th Schedule of the Constitution

संदर्भ

पंजाब विधानसभा ने हाल ही में AAP पार्टी के बाग़ी MLA सुखपाल सिंह खैरा (भोलथ विधानसभा) को संविधान की 10वीं अनुसूची के अंतर्गत अयोग्य घोषित करने के लिए नोटिस निर्गत किया है. ज्ञातव्य है कि 6 जनवरी को खैरा ने AAP पार्टी से त्यागपत्र दे दिया था, परन्तु विधायक पद को छोड़ा नहीं था. आगे चलकर उन्होंने एक नई पार्टी भी बना ली थी.

संविधान की दसवीं अनुसूची क्या है?

राजनीतिक दल-बदल लम्बे समय से भारतीय राजनीति का एक रोग बना हुआ था और 1967 से ही राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक (anti-defection law) लगाने की बात उठाई जा रही थी. अन्ततोगत्वा आठवीं लोकसभा के चुनावों के बाद 1985 में संसद के दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से 52वाँ संशोधन पारित कर राजनीतिक दल-बदल पर कानूनी रोक लगा दी. इसे संविधान की दसवीं अनुसूची (10th Schedule) में डाला गया.

सदस्यता समाप्त

निम्न परिस्थितियों (conditions) में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाएगी –

  • यदि वह स्वेच्छा से अपने दल से त्यागपत्र दे दे.
  • यदि वह अपने दल या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति की अनुमति के बिना सदन में उसके किसी निर्देश के प्रतिकूल मतदान करे या मतदान में अनुपस्थित रहे. परन्तु यदि 15 दिनों निम्न परिस्थितियों (conditions) में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता समाप्त हो जाएगी – के अन्दर दल उसे इस उल्लंघन के लिए क्षमा कर दे तो उसकी सदस्यता (membership) पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.

सदस्यता बनी रहेगी

  • निम्न परिस्थितियों (conditions) में संसद या विधानसभा के सदस्य की सदस्यता बनी रहेगी –
  • यदि कोई निर्दलीय निर्वाचित सदस्य (Independent Member) किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाये.
  • यदि कोई मनोनीत सदस्य शपथ लेने के बाद6 माह की अवधि में किसी राजनीतिक दल में सम्मिलित हो जाये.
  • किसी राजनीतिक दल के विलय (merger) पर सदस्यता समाप्त नहीं होगी, यदि मूल दल में कम-से-कम2/3 सांसद/विधायक दल छोड़ दें.
  • यदि लोकसभा/विधानसभा का अध्यक्ष (speaker) अपना पद छोड़ देता है तो वह अपनी पुरानी में लौट सकता है, इसको दल-बदल नहीं माना जायेगा.

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • दल-बदल पर उठे किसी भी प्रश्न पर अंतिम निर्णयसदन के अध्यक्ष का होगा और किसी भी न्यायालय को उसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होगा. सदन के अध्यक्ष को इस कानून की क्रियान्विति के लिए नियम बनाने का अधिकार होगा.
  • स्पष्ट है कि किसी राजनीतिक दल के विलय की स्थिति को राजनीतिक दल-बदल की सीमा के बाहर रखा गया है. राजनीतिक दल-बदल का कारण राजनीतिक विचारधारा या अन्तःकरण नहीं अपितु सत्ता और पदलोलुपता या अन्य लाभ ही रहे हैं. इस दृष्टि से दल-बदल पर लगाई गई रोक “भारतीय राजनीति को स्वच्छ करने और राजनीति में अनुशासन लाने का एक प्रयत्न” ही कहा जा सकता है. वस्तुतः इस कानून में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और दलीय अनुशासन के बीच संतुलित सामंजस्य बैठाया गया है.
  • दल-बदल (Anti-Defection) को रोकने की दिशा में यह विधेयक एक शुरुआत ही माना जा सकता है. दल-बदल की स्थिति के पूरे निराकरण के लिए और बहुत कुछ अधिक करना पड़ेगा. राजनीतिक नैतिकता ही इस स्थिति का पूर्ण निराकरण हो सकती है.

दल-बदल निषेध कानून (52nd Amendment) और इस कानून की विविध व्यवस्थाओं को 1991 में सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा कि “दल-बदल” निषेध कानून वैध है, लेकिन दल-बदल निषेध कानून की यह धारा अवैध है कि “दल-बदल (Anti-Defection)” पर उठे किसी भी प्रश्न पर अंतिम निर्णय सदन के अध्यक्ष का होगा और किसी भी न्यायालय को उसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं होगा. सर्वोच्च न्यालायाय ने अपने निर्णय में कहा कि सदन का अध्यक्ष इस प्रसंग में एक “न्यायाधिकरण” के रूप में कार्य करता है और उपर्युक्त विषय में सदन के अध्यक्ष के निर्णय पर न्यायालय विचार कर सकता है.


GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Triple-drug therapy for lymphatic filariasis

संदर्भ

लिम्फेटिक फाइलेरिएसिस अथवा हाथी-पाँव का उन्मूलन करने के दीर्घकालिक उद्देश्य से हाल ही में महाराष्ट्र के नागपुर में तीन दवाओं से इसके उपचार के लिए एक प्रायोगिक परियोजना का अनावरण किया गया. नागपुर और देश के अन्य चार जिलों में यह परियोजना चलाई जायेगी.

तीन दवाओं का यह उपचार (Triple Drug Therapy) क्या है?

  • हाथी-पाँव के उपचार के लिए तीन दवाओं का एक मिश्रण दिया जाता है. ये दवाएँ हैं – ivermectin, diethylcarbamazine citrate और albendazole.
  • इसमें जो तीसरी दवा है अर्थात् albendazole वह हाथी-पाँव के वयस्क कीटाणुओं को नियंत्रित करने में सहायता करता है. पहले ऐसे कीटाणुओं को दवा देकर शांत कर दिया जाता था जिससे वे एक वर्ष के लिए निष्क्रिय हो जाते थे. तीसरी दवा देने से निष्क्रियता की यह अवधि बढ़कर दो वर्ष हो जायेगी.
  • वयस्क कीटाणुओं की आयु चार वर्ष तक होती है. इसलिए इन तीनों दवाओं को दो लगातार वर्ष खिलाने का सुझाव दिया जाता है. इससे यह होगा कि कीटाणु अपनी आयु पूरा करके मर जायेंगे और रोगी को कोई हानि भी नहीं पहुँचेगी.
  • विश्व-भर में हाथ-पाँव रोग के उन्मूलन में तीव्रता लाने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने तीन दवाओं से इसके उपचार की अनुशंसा की है.

भारत में हाथी-पाँव की समस्या

  • भारत में हाथी-पाँव के मामले विश्व में सबसे अधिक होते हैं. वस्तुतः विश्व के 40% ऐसे मामले भारत में ही पाए जाते हैं.
  • भारत को हाथी-पाँव को 2017 तक समाप्त कर देना था पर ऐसा नहीं हो सका. इसलिए पूरे विश्व के लिए हाथी-पाँव के सम्पूर्ण उन्मूलन के लिए 2020 का लक्ष्य रखा गया है. आशा है कि तीन दवाओं के मिश्रित प्रयोग से यह लक्ष्य पूरा हो जायेगा.

हाथी-पाँव का कारण

  • यह रोग लसीका प्रणाली (lymphatic system) में रहने वाले परजीवी कीटाणुओं के संक्रमण से होता है.
  • इस परजीवी के लार्वे रक्त के साथ-साथ देह में संचरित होते रहते हैं और मच्छर के काटने से एक व्यक्ति से यह रोग दूसरे व्यक्ति में संचरित हो जाता है.
  • हाथी-पाँव के परजीवियों को संचारित करने वाले चार प्रकार के मच्छर होते हैं, वे हैं – Culex, Mansonia, Anopheles और
  • संचरण के पश्चात् रोग के लक्षण उभरने में समय लग जाता है. इस कारण लसीका प्रणाली में बदलाव हो जाता है और इससे कुछ अंगों में असामान्य वृद्धि हो जाती है.
  • अंग-वृद्धि के कारण रोगी विकट रूप से अशक्त तो होता ही है, अपितु समाज की ओर से लांछित भी अनुभव करता है.

GS Paper 2 Source: The Hindu

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Topic : Project ReWeave

संदर्भ

माइक्रोसॉफ्ट इंडिया ने हथकरघा बुनकरों को सहायता पहुँचाने के लिए ReWeave परियोजना के अन्दर एक नए ई-वाणिज्य मंच का अनावरण किया है जिसका नाम ‘re-weave.in’ रखा गया है.

इस मंच का उद्देश्य

  • कारीगरों को खरीदने वालों से सीधे जोड़ना जिससे कि वे नए-नए ग्राहकों और बाजारों तक पहुँच सकें.
  • बुनकर समुदायों द्वारा बनाए गये उत्तम कपड़ों को विश्व के सामने रखना.
  • प्राकृतिक रंगों से तैयार किये गये पारम्परिक शैलियों और उत्पादों को अधिक से अधिक ग्राहकों के समक्ष रखना.
  • बुनकरों को अपनी आय बढ़ाने में तथा उनकी सतत आजीविका के लिए उन्हें सहायता पहुँचाना.
  • भारत की भूली-बिसरी पारम्परिक कला को फिर से जीवित करना.

ReWeave परियोजना क्या है?

  • यह परियोजना 2016 में माइक्रोसॉफ्ट इंडिया (R&D) प्रा.लि. के द्वारा अपनी मानव कल्याण योजना के तहत शुरू की गई थी.
  • भारत में हथकरघा बुनाई के पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करना है.
  • इस पहल के तहत माइक्रोसॉफ्ट गैर-सरकारी संघटन चैतन्य भारती के साथ मिलकर बुनकर परिवारों को आवश्यक अवसंरचना, वित्त एवं बाजार की सुविधा प्रदान करता है.

GS Paper 2 Source: PIB

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Topic : National Social Assistance Programme (NSAP)

संदर्भ

भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (National Social Assistance Programme – NSAP) के अन्दर दिए जाने वाले मासिक पेंशन में कुछ परिवर्तन के सुझाव दिए हैं. ये परिवर्तन इस प्रकार हैं –

  • निर्धन वृद्धों, दिव्यान्गों, विधवाओं का पेंशन वर्तमान के 200 रू. से बढ़ाकर 800 रू. कर दिया जायेगा.
  • यह पेंशन 80 वर्ष के ऊपर के लाभार्थियों के लिए पहले के 500 रू. प्रतिमाह से बढ़ाकर 1,200 रू. प्रतिमाह कर दिया जाएगा.

प्रस्ताव का वित्तीय पक्ष

केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के इस प्रस्ताव से सरकार पर 18,000 करोड़ रू. का अतिरिक्त वार्षिक भार बढ़ेगा. इसके लिए फरवरी 1 को उपस्थापित होने वाले अंतरिम बजट में आवश्यक प्रावधान किया जाएगा.

राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP) क्या है?

  • राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक केंद्र-संपोषित योजना है जो 15 अगस्त, 1995 से चल रही है. यह योजना संविधान की धारा 41 (नीति-निर्देशक तत्त्व) के अनुरूप है जिसमें राज्य को आजीविकाहीन, विध, रुग्ण और निःशक्त नागरिकों को देश की आर्थिक क्षमता के अनुसार सहायता पहुँचाने का निर्देश है.
  • इस योजना के तहत अर्हता प्राप्त लोगों को सामाजिक पेंशन के रूप में नकद सहायता दी जाती है.
  • वर्तमान में इस योजना का लाभ निर्धनता रेखा के नीचे के 3 करोड़ जन उठा रहे हैं जिनमें 80 लाख विधवाएँ, 10 लाख दिव्यांग और 2 करोड़ वयोवृद्ध हैं.

NSAP के अन्दर आने वाली पाँच योजनाएँ कौन-सी हैं?

  1. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (IGNOAPS)
  2. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना (IGNWPS)
  3. इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विकलांगता पेंशन योजना (IGNDPS)
  4. राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना (NFBS)
  5. अन्नपूर्णा

GS Paper 2 Source: AIR

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Topic : Arab Economic and Social Development Summit

संदर्भ

हाल ही में अरब लीग के तत्त्वाधान में अरब-आर्थिक एवं सामाजिक विकास शिखर सम्मलेन (Arab Economic and Social Development Summit ) लेबनान की राजधानी बेरूत में सम्पन्न हुआ. इस अवसर पर अरब के नेताओं एवं अधिकारीयों ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से यह अनुरोध किया कि वे उन देशों का सहयोग करें जहाँ सीरिया के शरणार्थी शरण लिए हुए हैं और शरणार्थी-समस्या के दुष्प्रभाव को कम करने की दिशा में कदम उठाएँ. इस आवाहन को “बेरुत घोषणा” की संज्ञा दी गई है.

बेरुत घोषणा घोषणा का माहात्म्य

  • ऐसा पहली बार हुआ है कि अरब देशों के बीच इस बात को लेकर सहमति हुई है कि वे सब सीरियाई शरणार्थियों को अपने देश लौटने के लिए प्रोत्साहित करेंगे.
  • घोषणा में कहा गया कि अरब देशों में व्याप्त शरणार्थी संकट द्वितीय विश्व युद्ध के पश्चात् उत्पन्न होने वाली सबसे बुरी मानवीय समस्या है. इस संकट के कारण आर्थिक वृद्धि में कमी, व्यय और घाटे में वृद्धि तथा सार्वजनिक प्रक्षेत्रों एवं अवसंरचनाओं पर बोझ बढ़ा है और फलतः समाज के लिए जोखिम पैदा हुए हैं.

अरब लीग क्या है?

  • अरब लीग (Arab League) अरब देशों का एक क्षेत्रीय संगठन है जिसके सदस्य उत्तरी अफ्रीका और हॉर्न ऑफ़ अफ्रीका और अरेबिया में अवस्थित अरबी देश हैं.
  • इसकी स्थापना 1945 के 22 मार्च को काहिरा में हुई थी. उस समय इसके ये छः सदस्य थे – मिस्र, इराक, जॉर्डन, लेबनन, सऊदी अरबिया और सीरिया. आज के दिन इस लीग में 22 सदस्य हो गये हैं, परन्तु गृह युद्ध के कारण सीरिया इस लीग से नवम्बर, 2011 से निलम्बित चल रहा है.
  • अरब लीग का मुख्य लक्ष्य हैं – सदस्य देशों के बीच नजदीकी रिश्ते कायम करना, आपसी सहयोग का समन्वयन करना, प्रत्येक देश की स्वतंत्रता और संप्रभुता को सुरक्षित करना, अरबी देशों के हितों पर विचार करना आदि.

GS Paper 3 Source: The Hindu

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Topic : Groundwater ‘time bomb’ is ticking

संदर्भ

हाल ही में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि आने वाली पीढ़ियों को पर्यावरणिक “टाइम-बम” का सामना करना पड़ेगा क्योंकि संसार की भूमि जल प्रणालियों को सुदृढ़ करने के लिए आज जो कदम उठाये जा रहे हैं उनका असर आने में कई दशक लग सकते हैं.

समस्या क्या है?

एक अंतर्राष्ट्रीय शोध-दल के निष्कर्षों के अनुसार एक तरफ जहाँ वैश्विक जनसंख्या में विस्फोट हो रहा है और साथ ही साथ फसल उत्पादन में वृद्धि हो रही है, वहीं दूसरी ओर भूमि-जल के भंडारों का दोहन भी बढ़ रहा है. भूमि-जल को फिर से पहले के स्तर तक पहुँचने में सूखा आड़े आता है और अति-वर्षा का भी इस पर दुष्प्रभाव पड़ता है.

संकट का नाम टाइम-बम क्यों?

शोधकर्ताओं का कहना है कि अगले सौ वर्षों में हमारे भूमि-जल की आधी ही मात्रा फिर से लौट सकेगी. इससे शुष्क क्षेत्रों में पानी की कमी की समस्या उत्पन्न हो जायेगी. इसलिए इस समस्या को टाइम-बम का नाम दिया गया है अर्थात् एक लम्बे समय के पश्चात् इसका सबसे विकट रूप सामने आएगा.

भारत में भूजल की स्थिति

भारत विश्व में सर्वाधिक भूजल का प्रयोग करता है. यहाँ भूजल का 90% पीने के लिए प्रयुक्त होता है. सिंचाई का 60-70% जल भी भूजल से ही आता है. शहरों में पानी की 50% आपूर्ति भी भूजल से ही होती है.

भूजल संकट के दो मुख्य कारण

  1. जलाशयों का अतिशय दोहन
  2. भूमि जल का प्रदूषण :- यह प्रदूषण आर्सेनिक और फ्लूराइड जैसे भूगर्भीय पदार्थों के कारण तो होता ही है, इसके लिए कचरे और अपशिष्ट जल जा सही निपटारा नहीं होना भी एक प्रधान कारण है.

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