Contents [hide]
Daily Current Affairs, 18 January 2019
Prelims Special
World University Ranking 2019 :-
- हाल ही में लंदन स्थित वैश्विक संगठन टाइम्स हायर एजुकेशन ने इमर्जिंग इकोनॉमीज़ यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2019 (Emerging Economies University Rankings 2019) जारी की.
- टाइम्स हायर एजुकेशन (Times Higher Education) द्वारा जारी इस रैंकिंग में 43 देशों के 450 विश्वविद्यालयों को शामिल किया गया है.
- इस रैंकिंग में भारत के 49 संस्थानों को स्थान मिला है। उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष इस रैंकिंग में भारत के 42 संस्थानों को स्थान मिला था.
- इस सूची में चीन के 75 संस्थान शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि शीर्ष 5 में से 4 स्थानों पर चीन के संस्थानों को स्थान मिला है.
6th City Momentum Index :-
- JLL द्वारा हाल ही में छठा सिटी मोमेंटम इंडेक्स नगर गतिशीलता सूचकांक निर्गत किया गया जिसमें विश्व के वाणिज्य के क्षेत्र में सर्वाधिक सक्रिय 131 नगरों की पड़ताल की गई है.
- इस सूचकांक में बेंगलुरु को विश्व का सर्वाधिक गतिशील नगर घोषित किया गया है.
Saksham 2019 :-
- 16 जनवरी, 2019 को पेट्रोलियम संरक्षण अनुसंधान संघ (PCRA) के वार्षिक मूर्धन्य कार्यक्रम “सक्षम (संरक्षण क्षमता महोत्सव)” का आयोजन पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तत्त्वाधान में किया गया.
- इसका मुख्य उद्देश्य ईंधन के संरक्षण पर लोगों का ध्यान आकृष्ट करना है.
Sangeet Natak Akademi :-
- संगीत नाटक अकादमी भारत गणराज्य द्वारा स्थापित, नृत्य और नाटक की प्रथम राष्ट्रीय एकेडमी है.
- यह भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्था है.
- इसका गठन भारत सरकार के तत्कालीन शिक्षा मंत्रालय के 31 मई, 1952 के प्रस्ताव के ज़रिये किया गया था और भारत के गज़ट में इसे जून 1952 में अधिसूचित किया गया था। इसके पहले अध्यक्ष डॉ. पी. वी. राजमन्नार थे.
- यह अमूर्त सांस्कृतिक विरासत और विभिन्न यूनेस्को (UNESCO) सम्मेलनों से संबंधित मामलों को समन्वित करने के लिये भारत की सांस्कृतिक विविधता, विभिन्न सांस्कृतिक परंपराओं और अभिव्यक्तियों का प्रचार एवं प्रसार करती है.
EXIM bank :-
- हाल ही में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एक्सिम बैंक में 6,000 करोड़ रू. की पूँजी डालने तथा एक्सिम बैंक की अधिकृत पूंजी को 10,000 करोड़ रू. से बढ़ाकर 20,000 करोड़ रू. करने की मंजूरी दे दी है.
- विदित हो कि 1982 में एक्सिम बैंक की स्थापना एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट बैंक ऑफ़ इंडिया एक्ट, 1981 के तहत निर्यातकों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता मुहैया करने के उद्देश्य से की गई थी.
First human rights TV channel Launched :-
- हाल ही में लन्दन में विश्व का ऐसा पहला दूरदर्शन चैनल स्थापित किया गया है जो मानवाधिकार को समर्पित है.
- इसकी स्थापना अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार ओब्जर्वेटरी नामक संस्था द्वारा की गई है.
Gandhi Peace Prize announced for years 2015, 2016, 2017 and 2018 :-
- हाल ही में वर्ष 2015, 2016, 2017 और 2018 के लिए गाँधी शान्ति पुरस्कारों की घोषणा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय द्वारा की गई है.
- 2018 का गाँधी शान्ति पुरस्कार जापान के निप्पोन फाउंडेशन के अध्यक्ष Yohei Sasakawa को प्रदान किया गया.
- यह पुरस्कार अहिंसा और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक परिवर्तन में योगदान करने वाले लोगों और संस्थानों को दिया जाता है.
- सरकार ने चार वर्षों 2015, 2016, 2017 और 2018 के गांधी शांति पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा कर दी है.
- वर्ष 2014 में यह पुरस्कार भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation-ISRO) को दिया गया था.
- इस पुरस्कार के तहत 1 करोड़ रुपए की राशि, प्रशस्ति-पत्र, एक पट्टिका के साथ-साथ एक उत्कृष्ट पारंपरिक हस्तकला/हथकरघा की वस्तु दी जाती है.
Global Aviation Summit 2019 :-
- 2019 के वैश्विक विमानन शिखर सम्मेलन का आयोजन मुंबई, महाराष्ट्र में हो रहा है.
- इस बार की थीम है – सब के लिए उड़ान – विशेषकर अगले 6 बिलियन के लिए / ‘Flying for all-especially the next 6 Billion’.
- इस सम्मेलन का आयोजन केंद्र के नगर विमानन मंत्रालय, भारतीय वायुपत्तन प्राधिकरण तथा FICCI के द्वारा संयुक्त रूप से किया जा रहा है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Supreme Court gets two new judges
संदर्भ
भारतीय संविधान की धारा 124 के उपभाग (2) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राष्ट्रपति ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संजीव खन्ना और कर्नाटक उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश दिनेश महाश्वेरी को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया है. इनके नाम कोलेजियम द्वारा सुझाए गये थे.
कॉलेजियम व्यवस्था क्या है?
- उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति की प्रक्रिया के सम्बन्ध में संविधान में कोई व्यवस्था नहीं दी गई है.
- अतः यह कार्य शुरू में सरकार द्वारा ही अपने विवेक से किया जाया करता था.
- परन्तु 1990 के दशक में सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में हस्तक्षेप करना शुरू किया और एक के बाद एक कानूनी व्यवस्थाएँ दीं. इन व्यवस्थाओं के आलोक में धीरे-धीरे नियुक्ति की एक नई व्यवस्था उभर के सामने आई. इसके अंतर्गत जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की अवधारणा सामने आई.
- ये कॉलेजियम राज्य और केंद्र दोनों के स्तर पर होते हैं. इनमें यदि उच्च न्यायालय की बात हो तो वहाँ के मुख्य न्यायाधीश और 2-3 वरिष्ठतम न्यायाधीश कॉलेजियम बनाते हैं और यदि सर्वोच्च न्यायालय की बात हो तो भारत के मुख्य न्यायाधीश तथा सर्वोच्च न्यायालाय के वरिष्ठतम न्यायाधीश सम्बंधित कॉलेजियम के सदस्य होते हैं.
- ये कॉलेजियम ही उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के जजों की नियुक्ति के लिए नाम चुनती है और फिर अपनी अनुशंसा सरकार को भेजती है.
- सरकार इन नामों से ही न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए कार्रवाई करती है.
- कॉलेजियम की अनुशंसा राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं है. यदि राष्ट्रपति किसी अनुशंसा को निरस्त करते हैं तो वह वापस कॉलेजियम के पास लौट जाती है. परन्तु यदि कॉलेजियम अपनी अनुशंसा को दुहराते हुए उसे फिर से राष्ट्रपति को भेज देती है तो राष्ट्रपति को उस अनुशंसा को मानना पड़ता है.
न्यायाधीशों की नियुक्ति
भारत के संविधान के अनुच्छेद 124 में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है. इस अनुच्छेद के अनुसार “राष्ट्रपति उच्चतम न्यायालय के और राज्यों के उच्च न्यायालयों के ऐसे न्यायाधीशों से, जिनसे परामर्श करना वह आवश्यक समझे, परामर्श करने के पश्चात् उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करेगा.” इसी अनुच्छेद में यह भी कहा गया है कि मुख्य न्यायाधीश से भिन्न किसी न्यायाधीश की नियुक्ति में भारत के मुख्य न्यायाधीश से जरुर परामर्श किया जाएगा. संविधान में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के सम्बन्ध में अलग से कोई प्रावधान नहीं किया गया है. पर उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश के पद पर नियुक्त किये जाने की परम्परा रही है. हालाँकि संविधान इस पर खामोश है. पर इसके दो अपवाद भी हैं अर्थात् तीन बार वरिष्ठता की परम्परा का पालन नहीं किया गया. एक बार स्वास्थ्यगत कारण व दो बार कुछ राजनीतिक घटनाक्रम के कारण ऐसा किया गया. 6 अक्टूबर, 1993 को उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए एक निर्णय के अनुसार मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में वरिष्ठता के सिद्धांत का पालन किया जाना चाहिए.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की योग्यताएँ (ELIGIBILITY)
सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश वही व्यक्ति हो सकता है, जो –
- भारत का नागरिक हो
- कम-से-कम 5 वर्षों तक किसी उच्चन्यायालय का न्यायाधीश रह चुका हो
- कम-से-कम 10 वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय में वकालत कर चुका हो या
- राष्ट्रपति के विचार में सुविख्यात विधिवेत्ता (कानूनज्ञाता) हो
कार्यकाल तथा वेतन (TERM AND SALARY)
- सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर बने रह सकते हैं.
- 65 वर्ष की आयु के पूर्व भी वे राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र देकर पद मुक्त हो सकते हैं.
- राष्ट्रपति उनको अवकाश-प्राप्ति से पूर्व भी संसद् द्वारा पारित महाभियोग प्रस्ताव के बाद पद से हटा सकते हैं. अभी तक इस प्रक्रिया द्वारा सर्वोच्च या उच्च न्यायालय के किसी भीन्यायाधीश को हटाया नहीं गया है.
- सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का वेतन 1 लाख रुपये प्रति माह तथा अन्य न्यायाधीशों का वेतन 90 हज़ार रुपये प्रति माह निर्धारित किया गया है.
- सर्वोच्च न्यायालय के वेतन तथा भत्ते भारत की संचित निधि (Consolidated Fund) पर भारित हैं. सामान्य परिस्थितियों में न्यायाधीशों के कार्यकाल में उनके वेतन एवं भत्ते कम नहीं किये जा सकते हैं.
कॉलेजियम व्यवस्था को बदलने के प्रयास
कॉलेजियम व्यवस्था कई कारणों से आलोचना का केंद्र रही है. इसलिए सरकार चाहती है कि इसे हटाकर एक ऐसी प्रणाली बनाई जाए जिसमें कॉलेजियम व्यवस्था की तरह निरंकुशता और अपारदर्शिता न हो. इस संदर्भ में
संसद ने 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग की स्थापना से सम्बंधित एक कानून पारित किया था परन्तु 16 अक्टूबर, 2015 को सर्वोच्च न्यायालय ने बहुमत इस प्रस्ताव को निरस्त करते हुए कहा था कि यह असंवैधानिक है और यह न्यायपालिका की स्वतन्त्रता को चोट पहुँचेगी. न्यायालय का कहना था कि प्रस्तावित संशोधनों के कारण न्यायपालिका की स्वतंत्रता को क्षति पहुँचेगी तथा न्यायिक नियुक्तियों को कार्यपालिका के नियंत्रण से दूर रखना चाहिए.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : SC Dismisses pleas on Appointment of DGPs
संदर्भ
हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने पंजाब, केरल पश्चिम बंगाल, हरियाणा और बिहार राज्यों के उन याचिकाओं को निरस्त कर दिया है जिनमें उन्होंने पुलिस महानिदेशक के चयन और नियुक्ति के विषय में उनके स्थानीय कानूनों को लागू करने का अनुरोध किया था.
- सर्वोच्च न्यायालय ने इस विषय के संदर्भ में कहा कि पुलिस महानिदेशक की नियुक्ति और चयन के बारे में न्यायालय द्वारा पूर्व में दिए गये निर्देश व्यापक लोक हित में हैं और इनका उद्देश्य पुलिस अधिकारीयों को राजनीतिक हस्तक्षेप से बचाना है.
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश
- राज्य और संघीय क्षेत्र वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के नाम संघ लोक सेवा आयोग के पास पुलिस महानिदेशक अथवा पुलिस आयुक्त के पद पर नियुक्ति के लिए भेजेंगे.
- उसके पश्चात् UPSC भेजे गए नामों में से तीन सबसे अधिक योग्य उम्मीदवारों की एक सूची बनाएगा और उसे सम्बंधित राज्य को भेज देगा.
- राज्य इस बात को लेकर स्वतंत्र होंगे कि इन तीनों में से वे किसको पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त करें.
- राज्यों के लिए यह अनिवार्य होगा कि वे UPSC को जिन पुलिस अधिकारियों के नाम भेजेंगे उनमें कोई ऐसा न हो जो तीन महीने के भीतर सेवानिवृत्त होने वाले हों.
- UPSC से तीन नाम आने के बाद सम्बंधित राज्य को तत्काल इनमें से एक को पुलिस महानिदेशक के रूप में नियुक्त करना आवश्यक होगा.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : National Action Plan for Drug Demand Reduction (2018-2023)
संदर्भ
देश में दवाइयों के दुरूपयोग की समस्या का समाधान करने के लिए भारत सरकार के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय ने पुराने नीति-प्रारूप को त्यागते हुए एक नया प्रारूप तैयार किया है जिसका नाम है – दवा की माँग में कमी से सम्बन्धित राष्ट्रीय कार्य योजना प्रारूप (2018-2023)/ National Action Plan for Drug Demand Reduction (2018-2023).
कार्ययोजना के मुख्य तत्त्व
- उद्देश्य : दवाइयों के दुरूपयोग की समस्या के समाधान के लिए एक दीर्घकालिक रणनीति अपनाना जिसमें लोगों को ऐसे दुरूपयोग के बारे में शिक्षित किया जाना और जो लोग दवाओं के लत के शिकार हो गये हैं उन्हें इस लत को छुड़ाना और तथा उनके परिवारों का पुनर्वास करना शामिल होगा.
- जागृति फैलाना : कार्ययोजना में यह प्रस्ताव है कि सोशल मीडिया, प्रिंट मीडिया, डिजिटल मीडिया और ऑनलाइन मीडिया के माध्यम से और सुप्रसिद्ध लोगों को इसमें संग्लन करते हुए दवाओं के दुष्प्रभाव के बारे में जागरूकता फैलाया जाए और साथ ही दवाओं के प्रयोग की रोकथाम के लिए एक राष्ट्रीय टोल फ्री हेल्पलाइन स्थापित किया जाए.
- शैक्षणिक संस्थानों का सहयोग : कार्ययोजना के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों के प्रधानाचार्यों, निदेशकों, कुलपतियों आदि से अनुरोध किया जाएगा कि वे यह सुनिश्चित करें कि उनके परिसर के अन्दर तथा आस-पास कोई भी नशीली दवा नहीं बेची जाए.
- सामुदायिक संस्थाओं का सहयोग : दवाओं की माँग में कमी लाने के लिए कार्योजना में इन सामुदायिक संस्थानों की सहायता लेने की परिकल्पना की गई है – पंचायती राज संस्थाएँ, शहरी स्थानीय निकाय, नेहरू युवा केंद्र संगठन और महिला मंडल, स्वयं सहायता समूह इत्यादि जैसे स्थानीय समूह.
- सञ्चालन समिति : कार्ययोजना के अनुसार सामाजिक न्याय मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक संचालन समिति का गठन होगा जिसमें कई अन्य मंत्रालयों के प्रतिनिधि भी होंगे. इस समिति का काम कार्योजना के कार्यान्वयन पर दृष्टि रखना होगा.
नशीली दवाओं की समस्या
भारत विश्व के दो सबसे बड़े अफीम उत्पादक क्षेत्रों के बीच स्थित है. इसलिए यहाँ नारकोटिक दवाओं की तस्करी की संभावना बनी रहती है. इन दोनों क्षेत्रों को सुनहला अर्धचन्द्र (Golden Crescent) कहा जाता है जिसमें मध्य एशिया, पश्चिमी एशिया और दक्षिणी एशिया के भूभाग आते हैं.
अनुमान है कि भारत में 40 लाख लोग नशीली दवाओं के आदि हैं. जिन दवाओं का सबसे अधिक दुरूपयोग होता है, वे हैं – गाँजा, हशिश, अफीम और हेरोइन. इसके अतिरिक्त कुछ दवाइयों को भी नशे के रूप में लिया जाता है, जैसे – ब्यूप्रेनोरफिन और कोडीन से बने कफ सिरप तथा प्रॉक्सीवोन जैसे दर्द-निवारक दवाइयाँ.
GS Paper 2 Source: Times of India
Topic : Right of Children to Free and Compulsory Education (Amendment) Act, 2019
संदर्भ
राष्ट्रपति ने बाल नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार (संशोधन) अधिनियम, 2019 को अपनी मंजूरी दे दी है. इस अधिनियम में मुख्य रूप से विद्यालयों में अपनाई जा रही फेल न करने की नीति को समाप्त किया गया है.
अधिनियम के मुख्य तथ्य
- यह संशोधन अधिनियम बाल नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 को संशोधित करता है.
- 2009 के अधिनियम में यह प्रावधान था कि प्राथमिक विद्यालय (CLASSES 1-8) की पढ़ाई पूरी करने तक किसी बच्चे को फेल नहीं किया जायेगा और उन्हें अगले क्लास जाने से रोका नहीं जायेगा.
- अधिनियम में यह प्रावधान है कि कक्षा 5 और 8 में प्रत्येक शैक्षणिक वर्ष के अंत में नियमित ढंग से परीक्षा आयोजित की जाएगी.
- यदि कोई परीक्षाओं में फेल कर जाता है तो उसे अतिरिक्त पढ़ाई कराई जायेगी और परिणाम निकलने के दो महीने के अन्दर एक नई परीक्षा ली जाएगी.
- यदि बच्चा फिर भी फेल कर गया तो उसको उस कक्षा में रोक दिया जायेगा.
- शिक्षा क्षेत्र में मूल अधिनियम की “फेल नहीं करने की नीति” की आलोचना चल रही थी. लोगों का कहना था कि फेल नहीं किये जाने से बच्चों में परिश्रम करने की भावना समाप्त हो रही थी और उनका प्रदर्शन नीचे जा रहा था.
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण के लिए गठितसुब्रमनियन समिति (TSR Subramanian Committee) ने इस नीति को बंद करने का परामर्श दिया था.
- केन्द्रीय शिक्षा परामर्श बोर्ड की एक उपसमिति ने भी इस नीति को हटाने का सुझाव दिया था.
शिक्षा अधिकार अधिनियम क्या है?
2009 में पारित नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम में छह से लेकर चौदह वर्ष तक की आयु के सभी बच्चों को अनिवार्य रूप से निःशुल्क शिक्षा मुहैया कराने का प्रावधान किया गया है.
GS Paper 2 Source: The Hindu
Topic : Kyasanur Forest Disease
संदर्भ
हाल के दिनों में कर्नाटक में वानर ज्वर अर्थात् क्यासनुर जंगली रोग (Kyasanur Forest Disease – KFD) का आतंक मचा हुआ है. राज्य में यह रोग न फ़ैल जाए इसके लिए सरकार टीकाकरण आदि उपाय अपना रही है.
KFD क्या है?
- यह रोग एक वायरस के कारण होता है जिसकी सबसे पहले पहचान 1957 में उस समय हुई थी जब क्यासनुर जंगल में एक बीमार बंदर का उपचार चल रहा था. तब से चार 400-500 मनुष्य भी प्रति वर्ष इस रोग के शिकार होते रहे हैं.
- kfd वायरस हार्ड टिक नामक कीटाणु में पाया जाता है जिसे Hemaphysalis spinigera भी कहते हैं. एक बार यह वायरस लग जाता है तो वह आजीवन बना रहता है.
- इस वायरस को फैलाने का काम अधिकतर टिक द्वारा संक्रमित चूहे, छछूंदर और बंदर करते हैं.
- इस वायरस के चलते epizootics हो जाता है जिसमें बंदर बहुधा मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं.
- kFD से बकरियाँ, गाएँ और भेड़ जैसे बड़े पशु भी संक्रमित हो सके हैं परन्तु इस रोग के प्रसार पर उनकी भूमिका सीमित है.
- कुछ लोगों का कहना है कि बकरियों, गायों और भेड़ों के अपाशच्यूरीकृत दूध से भी यह वायरस फैलता है, परन्तु इसका कोई पुष्ट प्रमाण नहीं है.
- मनुष्य KFD का शिकार तब होता है जब उसे कोई टिक काट ले या वह संक्रमित पशुओं (अधिकतर बीमार अथवा मरे हुए बंदरों) के सम्पर्क में आता है.
- यह रोग मनुष्य से मनुष्य में संचरित नहीं होता है.
बचाव के उपाय
KFD का अभी तक कोई विशेष उपचार नहीं निकला है परन्तु यदि समय पर संक्रमित को अस्पताल में भर्ती कर उसकी चिकित्सा की जाए तो वह स्वस्थ हो सकता है. उपचार के लिए उसके शरीर में जल के स्तर को बनाए रखना और आवश्यक होता है. ऐसे रोगी के लिए वे सभी सावधानियाँ बरतनी चाहिएँ जो रक्त-स्राव रोग के रोगियों के लिए आवश्यक होते हैं. भारत में KDF के लिए एक टीका उपलब्ध है और इसका उपयोग उन स्थानों में होता भी है जहाँ यह रोग अधिक फैलता है. बचाव के लिए लोगों को कीड़े भगाने वाले रसायनों का उपयोग करना चाहिए और सुरक्षित कपड़ों को पहनना चाहिए.
Click here to read Daily Current Affairs – Daily Current Affairs
💡 Dhyeya Ethics (GS-4) Hindi Handwritten Class Notes PDF, Click to Download
💡 UPSC Mains Answer Writing Practice 🎖 2019
0 Comments